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1912 हेल्पलाइन खस्ताहाल : उपभोक्ता परिषद ने कहा-वर्टिकल व्यवस्था से नहीं होगा कोई सुधार

1912 की सेवा से संतुष्ट और 2,530 (19%) उपभोक्ता असंतुष्ट हैं। 1912 पर आई 2,366 (18%) शिकायतों को गलत तरीके से बंद कर दिया गया। इस तरह लगभग 43 प्रतिशत उपभोक्ता 1912 की सेवा से असंतुष्ट पाए गए। 

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Deepak Yadav
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वर्टिकल व्यवस्था का मामला पहुंचा नियामक आयोग Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजी कंपनियों की तरह कार्यप्रणाली लाने के लिए लखनऊ (लेसा) और नोएडा में एक नवम्बर से वर्टिकल व्यवस्था लागू होगी। कानपुर, मेरठ, अलीगढ़, बरेली समेत अन्य कई शहरों में यह पहले ही शुरू की जा चुकी है। सरकार जहां वर्टिकल व्यवस्था से बिजली सेवाओं में बड़ा सुधार और कामकाम पहले से बेहतर होने का दावा कर रही है। वहीं, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली विभाग में किए जा रहे व्यवस्था परिवर्तन पर सवाल उठाए हैं। परिषद के अनुसार, बिजली से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए संचालित हेल्पलाइन 1912 उपभोक्ता संतुष्टि में असफल रही है। ऐसे में वर्टिकल व्यवस्था से उपभोक्ताओं को लाभ मिलना संभव नहीं है। 

43 प्रतिशत उपभोक्ता 1912 सेवा से असंतुष्ट

दरअसल, ऊर्जा मंत्री की 1912 हेल्पलाइन पर कड़ी टिप्पणी के बाद पावर कॉरपोरेशन ने 25 अगस्त से 10 दिनों तक उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने का अभियान चलाया था।। बिजली कंपनियों ने फीडबैक में लगभग 85 प्रतिशत उपभोक्ताओं को संतुष्टि बताया। लेकिन पावर कॉरपोरेशन के फीडबैक ने इस दावे की पोल खोल दी। कॉरपोरेशन मुख्यालय ने 20 हजार उपभोक्ताओं से फीडबैक लेने का लक्ष्य रखा था। 13,090 उपभोक्ताओं का फीडबैक मिला। इनमें से 7,421 (57 प्रतिशत) 1912 की सेवा से संतुष्ट और 2,530 (19 प्रतिशत) उपभोक्ता असंतुष्ट हैं। 1912 पर आई 2,366 (18 प्रतिशत) शिकायतों को गलत तरीके से बंद कर दिया गया। इस तरह लगभग 43 प्रतिशत उपभोक्ता 1912 की सेवा से असंतुष्ट पाए गए। 

1912 का हाल खस्ता

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग के आदेश के बावजूद अभी तक तक 1912 पर ओटीपी व्यवस्था नहीं लागू की गई। इसके चलते 2019 से अभी तक एक भी उपभोक्ता को मुआवजा कानून के तहत लाभ नहीं मिला। यह पूरी व्यवस्था 1912 के माध्यम से ही संचालित है। उन्होंनें कहा कि जब 1912 सेवा खस्ताहाल है। तो वर्टिकल व्यवस्था से उपभोक्ताओं को क्या लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि फीडबैक रिपोर्ट खुद इस बात का प्रमाण है कि सुधार के नाम पर केवल ढांचागत बदलाव किए जा रहे हैं। जबकि उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिए जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है। वर्मा ने कहा कि मूलभूत सेवा को मजबूत किए बिना नई व्यवस्था से सुधार संभव नहीं है।

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