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Lucknwo News : हिमालय की ऊंचाइयों पर गूंजेगी संस्कृत भाषा, सीएसयू विद्यार्थियों का पर्वतीय सफर शुरू

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि यह अनुपम शौर्य से भरा अभियान न केवल भारत के भूगोल को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर देगा।

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Deepak Yadav
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51 छात्र-छात्राओं का दल हिमालय में राओरी खोली के लिए रवाना Photograph: (Social Media)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। हिमालय के कुल्लू मंडल के राओरी खोली (12 हजार फीट ऊंचाई) के साहसिक अभियान के लिए 51 सदस्यीय विद्यार्थियों का दल रविवार को लखनऊ से रवाना हुआ। दल में देश के ​विभिन्न राज्यों के छात्र-छात्राएं शामिल हैं। सभी आठ दिन तक साथ यात्रा करेंगे। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (सीएसयू), गीर्वाण भारती, संस्कृत भारती, यूथ हॉस्टेल्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और अन्य सहयोगी संस्थाओं के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित अभियान से भाषाई और सांस्कृतिक एकता को बल मिलेगा। 

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कुलसचिव हरी झंडी दिखाकर दल को किया रवाना 

इस मौके पर संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि यह अनुपम शौर्य से भरा अभियान न केवल भारत के भूगोल को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर देगा। बल्कि इससे संस्कृत भाषा की महत्ता भी देश के दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचेगी। अभियान का प्रमुख ध्येय 'हिमालयस्य शिखरे शिखरे संस्कृतम्, भारतस्य गेहे गेहे संस्कृतम्'। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि संस्कृत को पुनः जनजीवन से जोड़ने का एक सशक्त प्रयास है। ट्रैकिंग दल को विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो आरजी मुरली कृष्ण ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 

प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृत का संगम

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कुलसचिव ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को पुनः जागृत करने के लिए एक अद्वितीय साहसिक अभियान संचालित किया जा रहा है। इसके जरिए हिमालय की गोद में बसे सौंदर्य और सांस्कृतिक गौरव को नई दृष्टि से देखने का अवसर देगा। अभियन का मकसद हिमालय की प्राकृतिक गरिमा को नमन करने के साथ संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाना भी है। उन्होंने अभियान में उच्च हिमालयी क्षेत्र में आवश्यक सावधानियों, पर्यावरण के प्रति सजगता और प्राकृतिक संरचनाओं के प्रति सम्मान का महत्व भी बताया। 

पिछले वर्ष 25, इस बार 50 प्रतिभागी

विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण के डीन प्रो मदनमोहन झा ने कहा कि अभियान के जरिए विश्वविद्यालय के छात्र—छात्राओं में साहस, संस्कृति और भाषा के प्रति जागरूकता का संचार होगा। यह पहल भारत की एकता, विविधता और प्राचीन परंपराओं को एक नवीन मंच पर प्रतिष्ठित करेगी। विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने बताया कि उमाकान्त तिवारी (शास्त्री प्रथम वर्ष), अभिनव मिश्रा (शास्त्री प्रथम वर्ष), प्रेरणा गौड (शास्त्री द्वितीय वर्ष) ट्रैकिंग दल में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि गत वर्ष भी विश्वविद्यालय ने 25 सदस्यीय दल को ट्रैकिंग के लिए रवाना किया था। इस साल भी 50 प्रतिभागी ट्रैकिंग के लिए जा रहें हैं। 

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विजेंदर राव करेंगे दल का नेतृत्व

ट्रैकिंग अभियान के समन्वयक डॉ. योगेंद्र दीक्षित ने बताया कि विश्वविद्यालय के सभी परिसरों के 48 छात्र—छात्राएं और दौ मार्गदर्शक जा रहे हैं। दल का नेतृत्व तरुणोदय संस्कृत संस्थान शिवमोगा, कर्नाटक  के विजेंदर राव कर कर रहे हैं। दल के सदस्य शिओबाग बेस कैंप कुल्लू से 12 हजार फीट राओरी खोली बेस कैंप तक जाएंगे। आठ दिन यात्रा शिओ बाग बेस कैंप कुल्लू से शुरू होकर से सेठन गांव, कुकी नाला शिविर पड़ाव करेगी। उसके बाद लामदो, सुरतू नाला ,देव टिब्बा, जाबरी नाला होते हुए राओरी खोली बेस कैंप पर पहुंचेगी। अभियान के दौरान प्रतिभागियों को पीर पंजाल और धौलाधार हिमालय श्रृंखलाओं की प्राकृतिक एवं नैसर्गिक छटा को देखने और उससे सीखने का अवसर मिलेगा।

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