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फर्जी आईएएस सौरभ त्रिपाठी।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी पुलिस ने बुधवार को फर्जी आईएएस अधिकारी बनकर शानो-शौकत की जिंदगी जी रहे सौरभ त्रिपाठी को गिरफ्तार किया तो कई परतें खुलनी शुरू हो गईं। वजीरगंज पुलिस की जांच में सामने आया है कि आरोपी के कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों से नजदीकी संबंध थे और कुछ के साथ व्यापारिक साझेदारी के भी सबूत मिले हैं। पुलिस अब उसके करीबी संपर्कों और नेटवर्क की गहन जांच कर रही है।
बर्थडे पार्टी बनी गिरफ्तारी की वजह
सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को आरोपी के बच्चों का जन्मदिन था। इसके लिए उसने शहर के एक प्रतिष्ठित क्लब में भव्य दावत रखी थी और करीबियों को निमंत्रण भी भेजा था। लेकिन इसी बीच पुलिस ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। बताया जाता है कि गिरफ्तारी की खबर फैलते ही कई अफसरों ने उसे छुड़वाने की कोशिश की, मगर मामला पेंचीदा होते देख वे पीछे हट गए। गिरफ्तारी के बाद जन्मदिन समारोह रद्द कर दिया गया।
आईटी बैकग्राउंड से ठग बनने तक का सफर
जांच में सामने आया है कि सौरभ त्रिपाठी मूल रूप से आईटी प्रोफेशनल है। वह पहले सीडॉट कॉम कंपनी में कार्यरत था, जो गृह मंत्रालय के प्रोजेक्ट्स पर काम करती थी। वहीं रहते हुए उसने एक वरिष्ठ अधिकारी की ईमेल आईडी हैक कर डाली। मामला पकड़ में आने पर उसे नौकरी से निकाल दिया गया। लेकिन चूक यह हुई कि उसका लॉगइन अकाउंट बंद नहीं किया गया। इसी का फायदा उठाकर उसने एनआईसी (नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर) की फर्जी आईडी बना ली और सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए खुद को अफसर साबित करता रहा।
सोशल मीडिया पर ‘स्पेशल सेक्रेटरी बताकर करता था पोस्ट
सौरभ ने सोशल मीडिया पर कई अकाउंट बना रखे थे। वह लगातार खुद को भारत सरकार का विशेष सचिव बताकर पोस्ट करता था। कभी वह अपने परिचय में कैबिनेट स्पेशल सेक्रेटरी लिखता, तो कभी खुद को अर्बन-रूरल डेवलपमेंट यूपी का सचिव दर्शाता। यही नहीं, वह सार्वजनिक आयोजनों में भी ऐसे परिचय का लाभ लेकर शिरकत करता था।
फर्जी पास और लग्जरी गाड़ियां पुलिस ने बरामद की
वजीरगंज पुलिस ने आरोपी के पास से छह लग्जरी गाड़ियां बरामद की हैं। इनमें से चार गाड़ियों पर फर्जी सचिवालय पास और एक पर संयुक्त सचिव भारत सरकार का पास चस्पा था। जांच में पता चला है कि वह इन पासों का उपयोग सरकारी प्रोटोकॉल और वीआईपी ट्रीटमेंट पाने के लिए करता था। पुलिस अब यह खंगाल रही है कि ये गाड़ियां किसके नाम पर पंजीकृत हैं और क्या इनमें अफसरों की भी हिस्सेदारी है।
नेटवर्क की छानबीन शुरू
पुलिस ने आरोपी से बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोन को जब्त कर लिया है। साइबर टीम यह पता लगाने में जुटी है कि उसने किन-किन लोगों के साथ डिजिटल माध्यमों पर संवाद किया और उसके नेटवर्क में कौन-कौन शामिल था। खासकर यह भी जांच हो रही है कि वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उसके कारोबारी रिश्ते किस स्तर तक थे।
राजनीतिक और अफसरशाही संपर्कों की भी जांच की जा रही
इंस्पेक्टर वजीरगंज ने बताया कि आरोपी बेहद शातिर है और लंबे समय से सरकारी तंत्र की आड़ में ठगी और धोखाधड़ी करता आ रहा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद अब उसके राजनीतिक और अफसरशाही संपर्कों की भी जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि नेटवर्क के सामने आने पर कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
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