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उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा : हाईकोर्ट ने पूछा, परीक्षा में शामिल होने के लिए आयु सीमा में छूट क्यों नहीं दी गई?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओवर ऐज अभ्यर्थियों की याचिका पर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव गृह को स्पष्टीकरण के साथ हलफनामा देने का निर्देश दिया है कि याचियों को परीक्षा में शामिल होने के लिए 3 साल की आयु सीमा में छूट क्यों नहीं दी? अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी।

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Vivek Srivastav
24 aug 14

प्रतीकात्‍मक Photograph: (सोशल मीडिया)

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा जारी उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा- 2025 में ओवर ऐज हुए अभ्यर्थियों की याचिका पर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव गृह को स्पष्टीकरण के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है कि याचियों को परीक्षा में शामिल होने के लिए तीन साल की आयु सीमा में छूट क्यों नहीं दी गई? कोर्ट ने कहा यदि 2021 में परीक्षा हुई होती, तो याची उसमें बैठने की अर्हता रखते। उनसे भेदभाव क्यों किया जा रहा है? अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने सच्चिदानंद शुक्ला व 70 अन्य की याचिका पर दिया है।

प्रत्येक वर्ष भर्ती करने के आश्वासन का भी पालन नहीं

याची अधिवक्ता राकेश यादव व संजय कुमार यादव का कहना है कि उपनिरीक्षक भर्ती 2016 के बाद  2021 में आयी थी। उस दौरान कोरोना का प्रभाव था और प्रत्येक वर्ष भर्ती करने के आश्वासन का भी पालन नहीं हुआ। अब उपनिरीक्षक भर्ती 2025 में आयी है, तो इसमें सरकार 3 वर्ष की छूट स्वत: दे रही है। 2021 की भर्ती में ओवरएज हुए अभ्यर्थियों ने सरकार से मांग भी की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी। उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
न्यायाधीश महोदय द्वारा हो रहे भेदभाव को लेकर सरकार को फटकार भी लगाई गई है और नसीहत दी कि अगर उम्र सीमा में छूट 2021 में दी होती, तो ये चयन के भागीदार होते।

दस्तावेज सत्यापन व शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए एक अतिरिक्त अवसर दिया 

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीमारी के कारण पुलिस भर्ती 2023 में चयनित याची को दस्तावेज सत्यापन व शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए एक अतिरिक्त अवसर दिया है। कोर्ट ने याची को विपक्षी के समक्ष 10 सितंबर को हाजिर होने तथा उसके दस्तावेज का सत्यापन करने एवं शारीरिक दक्षता परीक्षा लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने मनोज कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता निर्भय कुमार भारती ने बहस की। इनका कहना था कि निर्धारित तिथि पर बीमार होने के कारण याची पेश नहीं हो सका। किसी शिकायत पर हाईस्कूल प्रमाणपत्र का सत्यापन किया जाना था। याचिका दायर कर दस्तावेज सत्यापन व शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए एक अवसर दिए जाने की मांग की गई थी।

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