Advertisment

अखिलेश दुबे प्रकरण: डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला निलंबित, 100 करोड़ से अधिक संपत्ति की जांच शुरू

कानपुर में अखिलेश दुबे प्रकरण में डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला को निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ एसआईटी जांच में 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति और फर्जी कंपनियों के जरिए काले धन को वैध व्यवसाय में बदलने के आरोप सामने आए हैं।

author-image
Shishir Patel
Akhilesh Dubey case

अखिलेश दुबे, निलंबन आदेश और ऋषिकांत शुक्ला।

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के कानपुर में अखिलेश दुबे से जुड़े भ्रष्टाचार के चर्चित प्रकरण में सोमवार को एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई। डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला को निलंबित कर दिया गया, जिसे अब तक इस मामले में सबसे गंभीर कदम माना जा रहा है। इससे पहले इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी को निलंबित किया गया था। उनके खिलाफ आरोप था कि उन्होंने पुलिस कार्यालय में शिकायत प्रकोष्ठ में तैनाती के दौरान भाजपा नेता रवि सतीजा को अखिलेश दुबे के कार्यालय तक पहुंचाने में मदद की थी।

एसआईटी जांच में ऋषिकांत का नाम आया सामने 

एसआईटी की जांच में सामने आया कि ऋषिकांत शुक्ला, डिप्टी एसपी विकास पांडेय, संतोष कुमार सिंह और केडीए के अन्य अधिकारी लंबे समय से अखिलेश दुबे के करीबी रहे हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों ने सरकारी पद का दुरुपयोग कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की और फर्जी कंपनियों तथा जमीनों के लेनदेन के जरिए काला धन सफेद किया। विशेष सूत्रों के अनुसार, ऋषिकांत की पत्नी प्रभा शुक्ला, विकास पांडेय के भाई प्रदीप कुमार पांडेय, संतोष सिंह के रिश्तेदार अशोक कुमार और अखिलेश दुबे के परिजन इस कंस्ट्रक्शन कंपनी में शामिल थे।

ऋषिकांत शुक्ला पर लगे गंभीर आरोप 

जांच में यह खुलासा हुआ कि केवल इस एक कंपनी का ही टर्नओवर 100 करोड़ से अधिक था। कंपनी के जरिए निर्माण और रियल एस्टेट से जुड़े काम किए जाते थे और सरकारी पद का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाया जाता था। इसमें अधिकारियों और उनके परिजनों की हिस्सेदारी स्पष्ट तौर पर पाई गई।ऋषिकांत शुक्ला पर यह आरोप भी है कि उन्होंने कानपुर में तैनाती के दौरान फर्जी मुकदमों में लोगों को फंसाकर उनकी संपत्ति पर कब्जा किया। एसआईटी ने उनके विभिन्न ठिकानों और संपत्तियों की जांच की, जिसमें 12 स्थानों पर 92 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति पाई गई। इसके अलावा तीन अन्य संपत्तियों के रिकॉर्ड जांच के अधीन हैं, लेकिन गोपनीय सूचनाओं के अनुसार ये भी उनके नाम से जुड़े हैं। आर्यनगर में 11 दुकानें उनके पड़ोसी देवेंद्र दुबे के नाम पर दर्ज हैं, लेकिन वास्तव में यह ऋषिकांत शुक्ला की बेनामी संपत्ति हैं।

अखिलेश दुबे के साथ मिलकर ऋषिकांत ने दर्ज किए फर्जी मुकदमे 

पुलिस कमिश्नर ने 10 और 15 सितंबर को अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशासन को रिपोर्ट भेजी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि ऋषिकांत शुक्ला ने कानपुर में लगभग दस साल तक तैनाती के दौरान अखिलेश दुबे गिरोह के साथ मिलकर वसूली, कब्जा और फर्जी मुकदमें करने का काम किया। उनके करीबी अधिकारियों और केडीए कर्मियों पर भी यही आरोप हैं। एसआईटी द्वारा भेजे गए नोटिस के बावजूद इन लोगों ने अपनी सफाई नहीं दी, संभवतः इस डर से कि उन्हें भी अखिलेश दुबे और इंस्पेक्टर सभाजीत की तरह गिरफ्तार न कर लिया जाए।

Advertisment

अन्य कई बड़े पुलिस अफसर पर भी कार्रवाई की तैयारी 

अब तक की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि भ्रष्टाचार के इस नेटवर्क में पुलिस, केडीए और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारी शामिल थे। निलंबन और विजिलेंस जांच की कार्रवाई इस बात का संकेत है कि शासन इस प्रकरण में गंभीरता से आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा डिप्टी एसपी विकास पांडेय, संतोष कुमार सिंह और महेंद्र कुमार सोलंकी समेत कई अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तैयारी है।जानकारों का मानना है कि यह कार्रवाई न केवल कानपुर पुलिस प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि भ्रष्टाचार और शक्ति का दुरुपयोग रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

यह भी पढ़े : लखनऊ-देवा मार्ग पर भीषण सड़क हादसा, 6 की मौत, 2 गंभीर घायल

यह भी पढ़े : Good News:प्रदेश में 45 हजार से अधिक होमगार्ड की भर्ती को हरी झंडी, शासनादेश जारी,लिखित परीक्षा के बाद होगा चयन

Advertisment

यह भी पढ़ें: Crime News: लखनऊ में फिर महिला की हत्या से सनसनी, माल के आम के बाग में मिला शव

यह भी पढ़ें: Crime News:एएनटीएफ ने सहारनपुर से एक स्मैक तस्कर को दबोचा, 1 करोड़ से अधिक की हेरोइन बरामद

यह भी पढ़ें: Lucknow Crime:सुशांत गोल्फ सिटी में नाबालिग से दुष्कर्म, आरोपी मनोज साहू गिरफ्तार

Advertisment
Lucknow news
Advertisment
Advertisment