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सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश में शिक्षकों की समस्याओं और उत्पीड़न को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा न सिर्फ शिक्षक विरोधी है, बल्कि शिक्षा के भी खिलाफ खड़ी दिखाई देती है। सपा के प्रदेश कार्यालय में शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में अखिलेश यादव ने कहा, “यह सरकार शिक्षकों और उनके परिवारों के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। भाजपा एक रूढ़िवादी सोच की पार्टी है, जिसे पढ़े-लिखे लोग और उनके सवाल पसंद नहीं हैं। इसलिए जितने कम स्कूल होंगे, उतना ही सरकार को विरोध का सामना कम करना पड़ेगा।
शिक्षित वर्ग को दबाने का प्रयास
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पढ़ा-लिखा युवा नौकरी मांगता है और यदि सरकार नौकरी देती है तो उसे आरक्षण देना होगा, जो भाजपा के एजेंडे के खिलाफ है। इसलिए भाजपा युवाओं को नौकरी नहीं देना चाहती। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है ताकि उसका राजनीतिक हित साधा जा सके।
आंदोलन के लिए मजबूर न करे सरकार
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर हमेशा बेरुखी का रवैया अपनाती है। उन्होंने कहा की सरकार का ह्रदयहीन रवैया पूरे प्रदेश में ठहराव पैदा कर सकता है। भाजपा को चाहिए कि वह शिक्षकों और कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर न करे। सरकार में संवेदना होनी चाहिए, वरना जनता उसे नकार देगी। सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का सबसे बड़ा विरोध पढ़ा-लिखा समाज करता है, इसलिए सरकार उसे ही निशाना बना रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि समाजवादी पार्टी शिक्षकों, युवाओं और कर्मचारियों के साथ खड़ी है और शिक्षा विरोधी नीतियों का खुलकर विरोध करेगी।
दो लाख शिक्षक पद खाली
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि यह सरकार गरीब और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को शिक्षा से वंचित रखने की सोची-समझी रणनीति पर काम कर रही है। अखिलेश ने कहा, "ये सोची-समझी रणनीति है कि गरीब और गांव में रहने वाले लोगों को शिक्षा से दूर कर दो, उन्हें शिक्षित न होने दो।" उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में लगभग दो लाख शिक्षक पद खाली हैं, लेकिन भाजपा सरकार उन्हें भरने में असफल रही है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार स्कूलों का मर्जर कर शिक्षकों की संख्या में कटौती करना चाहती है, जिससे शिक्षा व्यवस्था और भी कमजोर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है, तो शिक्षकों की कमी के साथ-साथ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी घटेंगे।
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