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मरीज निजी केंद्रों से अल्ट्रासाउंड कराने को मजबूर Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती में अनियमितता से मरीजों के इलाज पर ताला लग गया है। आलमबाग स्थित 50 बेड संयुक्त चिकित्सालय में कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट असाध्य बीमारी से ग्रस्त हैं। ऐसे में वह मई से चिकित्सकीय अवकाश पर चले गए हैं। उनकी जगह पर दूसरे रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं हुई है। ऐसे में यहां भी जांच बंद पड़ी है। ऐसी स्थिति ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय की है। यहां करीब सात साल से रेडियोलॉजिस्ट तैनात नहीं है। ऐसे में जांच के लिए मरीजों को निजी केंद्र पर जाना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि रेडियोलॉजिस्ट की मांग शासन से हुई थी, जो अभी तक नहीं मिल सके हैं।
लोकबंधु अस्पताल में तीन रेडियोलॉजिस्ट
लोकबंधु अस्पताल में तीन रेडियोलॉजिस्ट हैं। इनमें से एक प्रशासनिक पद पर कार्यरत हैं। मगर वह हर दिन जांच नहीं कर रहे। इस कारण दो ही रेडियोलॉजिस्ट के भरोसे काम चल रहा है। ऐसे में मरीजों को तीन से चार दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर के मुताबिक, अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के चार पद स्वीकृत हैं। जिसके सापेक्ष तीन कार्यरत हैं।
तीन मशीनों से होती है सिर्फ 150 मरीजों की जांच
बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में हर दिन करीब तीन से चार हजार मरीज आ रहे हैं। डॉक्टर हर दिन करीब 150-200 मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच लिख रहे हैं। इसमें 100-150 मरीजों की जांच हो पा रही है, बाकी मरीजों को तारीख मिल रही है। यह स्थिति तब है, जब यहां तीन मशीनें लगी हैं। जांच के लिए चार रेडियोलॉजिस्ट तैनात हैं। दो रेडियोलॉजिस्ट स्थायी व दो पुनर्नियुक्ति पर हैं। अस्पताल के सीएमएस डॉ. हिमांशु के मुताबिक, अस्पताल में सीटी स्कैन व एक्सरे का काम एक रेडियोलॉजिस्ट के जरिये देखा जा रहा है।
Health News | Radiologist
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