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लखनऊ, वाईबीएन नेटवर्क।
लखनऊ में इलाज के नाम पर मरीजों को लूटना फैशन बन गया है। सरकारी अस्पतालों के बाहर दलाल सक्रिय रहते हैं और मरीज/तीमारदार को बेहतर इलाज के नाम पर निजी अस्पताल का रुख करने को मजबूर करते हैं। ऐसे में इन दलालों का भारी भरकम कमीशन होता है जो निजी अस्पताल मरीज/तीमारदार की जेब से वसूल कर दलाल को देता है। निजी अस्पताल और दलालों का ये खेल नया नहीं काफी पुराना है। स्वास्थ्य विभाग आंख मूंदकर इस खेल का अनचाहा हिस्सा बन बैठा है। मरीजों को इलाज के नाम पर लूटा जाता है और विरोध करने पर मरीज का इलाज न करने की धमकी भी आम बात है। जो थोड़ी बहुत पहुंच रखते हैं, वो किसी तरह इस दलदल से निकलने का प्रयास करते हैं लेकिन गरीब आदमी ऐसे में थाने, अस्पताल, बैंक के चक्कर ही लगाता रह जाता है।
लखनऊ में इलाज के नाम पर मरीजों को लूटना फैशन बन गया है। सरकारी अस्पतालों के बाहर दलाल सक्रिय रहते हैं और मरीज/तीमारदार को बेहतर इलाज के नाम पर निजी अस्पताल का रुख करने को मजबूर करते हैं। ऐसे में इन दलालों का भारी भरकम कमीशन होता है जो निजी अस्पताल मरीज/तीमारदार की जेब से वसूल कर दलाल को देता है। निजी अस्पताल और दलालों का ये खेल नया नहीं काफी पुराना है। स्वास्थ्य विभाग आंख मूंदकर इस खेल का अनचाहा हिस्सा बन बैठा है। मरीजों को इलाज के नाम पर लूटा जाता है और विरोध करने पर मरीज का इलाज न करने की धमकी भी आम बात है। जो थोड़ी बहुत पहुंच रखते हैं, वो किसी तरह इस दलदल से निकलने का प्रयास करते हैं लेकिन गरीब आदमी ऐसे में थाने, अस्पताल, बैंक के चक्कर ही लगाता रह जाता है।
पूरा मामला समझिए
ताजा मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के AS Health & Trauma center का है, जहां बाराबंकी से एक परिवार अपने चार माह के बच्चे का इलाज कराने दलाल (विनोद सिंह) के माध्यम से एडमिट हुआ। अस्पताल प्रशासन ने बच्चे को निमोनिया बीमारी बताई। मरीज के परिजनों को यह बताया गया कि प्रतिदिन 15 हजार रुपये इलाज के नाम पर खर्च होंगे। परिजनों ने 76 हजार रुपए जमा किए, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उन्हें और 81 हजार का बिल थमा दिया। परिजनों ने जब इसके बारे में जानना चाहा तो, AS Health & Trauma Center प्रशासन ने बदतमीजी की। परिजनों के मुताबिक, मैनेजमेंट ने उनका कॉलर पकड़ा और असलहे के बल पर बदतमीजी करते हुए धमकी दी। साथ ही जब परिजनों ने बच्चे को डिस्चार्ज करने की बात कही तो अस्पताल प्रशासन ने धमकाते हुए कहा कि बकाया बिल भरने के बाद ही बच्चा डिस्चार्ज होगा।
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कई दिनों से आ रही थीं शिकायतें
As Health & trauma center पर यंग भारत पहुंचा तो कई मरीजों के परिजन अपनी शिकायतों को लेकर मुखर होने लगे। आस पास दुकान लगाने वालों ने बातचीत में बताया कि रुपये-पैसों को लेकर अस्पताल प्रशासन और मरीजों के परिजनों के बीच विवाद यहां सामान्य है। आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। यहां कोई मरीज खुद से भर्ती नहीं होता, सब खेल दलालों का है।
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ट्रॉमा के मानकों को पूरा नहीं करता अस्पताल
राजधानी लखनऊ में ऐसे कई निजी अस्पताल हैं जो स्वास्थ्य विभाग के जरूरी मानकों को पूरा नहीं करते हैं, लेकिन वे धड़ल्ले से संचालित होते हैं। अस्पतालों में फायर सेफ्टी की सुविधा नहीं है। As Health & Trauma Center Trauma सरकारी मानकों के साथ कई सारे मानकों पर खरा नहीं उतरा है। साथ ही, अस्पताल के कर्मचारियों का मरीज और तीमारदारों से बर्ताव भी अच्छा नहीं है।
AS Health & Trauma center : मरीजों को लूट रहा लखनऊ का ये अस्पताल, बंदूक की नोक पर हो रही वसूली
— Young Bharat News (@YoungBharat24) January 21, 2025
लखनऊ में इलाज के नाम पर मरीजों को लूटना फैशन बन गया है। सरकारी अस्पतालों के बाहर दलाल सक्रिय रहते है और मरीजों से दलाल भारी-भरकम रकम कमीशन को तौर पर वसूलते हैं। pic.twitter.com/z1rceFzKoP
डिप्टी सीएम के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहा अस्पताल
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक जो कि स्वास्थ्य महकमा के भी मंत्री हैं, ने मरीजों और तीमारदारों को लेकर एक निर्देश दिया था। निर्देश में कहा गया था कि सभी डॉक्टर और अस्पताल के स्टाफ मरीज और तीमारदार से अच्छा व्यवहार करेंगे। लेकिन लखनऊ के इस अस्पताल में खुलेआम गुंडई की जा रही है।
दलाल और तीमारदार की कॉल रिकॉर्डिंग वायरल
इस पूरे मामले में दलाल विनोद सिंह का ऑडियो तीमारदार के साथ वायरल है। विनोद सिंह एक दलाल है जो मरीज और तीमारदार को बेहतर इलाज के नाम पर लोहिया अस्पताल से ट्रॉमा सेंटर में ले आया था। ऑडियो में विनोद सिंह ने खुद कबूल किया कि 14 से 15 हजार रुपए रोजाना की बात हुई थी।
एंबुलेंस ड्राइवर ने खोला कच्चा चिठ्ठा
सरकारी अस्पतालों से निजी अस्पतालों के बीच में दलालों और एंबुलेंस ड्राइवर का मामला पहले से तय रहता है। अक्सर मरीजों को सरकारी अस्पतालों में दाखिला नहीं मिलता। ऐसे में ये एंबुलेंस ड्राइवर दलालों और निजी अस्पतालों को सेट करके रखते हैं। वे मरीज को भर्ती करके अपना कमीशन निकाल लेते हैं। AS Health & trauma center के बाहर ही एक एंबुलेंस ड्राइवर ने अस्पताल प्रशासन की कलई खोल दी।
परिजनों ने लगाई न्याय की गुहार
इस पूरे मामले को लेकर परिजनों ने डायल 112 पर फोन करते हुए अपनी समस्या बताई। बीमार बच्चों के परिजन और तीमारदारों ने अस्पताल प्रशासन और कर्मचारियों के दुर्व्यवहार को सामने रखा। उनका दावा है कि उनके परिवार को बच्चों का डर दिखाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
अस्पताल प्रशासन ने साधी चुप्पी
बातचीत में दूसरे मरीज के एक परिजन ने बताया कि वो प्रतापगढ़ का रहने वाला है। भाई की तबीयत बिगड़ी तो रायबरेली AIIMS ले गया जहां इलाज न मिलने पर एंबुलेंस ड्राइवर उसे AS Health & trauma center ले आया। 1 लाख रुपए इलाज के लिए लगा दिए लेकिन भाई की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। वही जब इस पूरे मामले पर अस्पताल प्रशासन से बातचीत की कोशिश की गई तो किसी ने भी कुछ भी कहने से मना कर दिया।
रिपोर्टरः खुर्रम