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ठंड के मौसम में सावधान रहें अस्थमा मरीज : जरा सी लापरवाही पड़ सकती है भारी, डॉक्टर की बताई इन बातों का रखें ध्यान

बदलते मौसम के चलते सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित हो होते हैं। आइए जानते हैं कि सांस के मरीजों को इस बदलते मौसम में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?

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Deepak Yadav
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सर्दी का मौसम अस्थमा रोगियों की बढ़ा सकता है मुश्किलें Photograph: (YBN)

दीपक यादव

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। ठंड ने दस्तक दे दी है। सर्दी का मौसम जहां प्रतिरोध क्षमता को मजबूत करने और हमारे शरीर को पोषण देने के लिए सबसे अच्छा होता है। वहीं इस मौसम में सर्दी, जुकाम समेत कई परेशानियां भी बढ़ जाती हैं। इन समस्याओं में अस्थमा और ब्रोंकाइटिस भी शामिल हैं। सर्दियों में सांस के रोगियों को लापरवाही बरतने से अस्पताल का रुख भी करना पड़ सकता है। बदलते मौसम के चलते सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित हो होते हैं। आइए जानते हैं कि सांस के मरीजों को इस बदलते मौसम में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?

नमी और प्रदूषण से सिकुड़ती हैं सांस की नलियां

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ आशुतोष दुबे ने 'यंग भारत न्यूज' से खास बातचीत में बताया कि ठंड बढ़ने के साथ मौसम में नमी बढ़ जाती है। इससे वायुमंडल के कण भारी हो जाते हैं और रेस्पिरेबल जोन में आ जाते हैं। ऐसे में धूल के कण चाहें वह ग्रीन डस्ट, बिल्डिंग की धूल, वाहनों का धुंआ और विभिन्न गैसों के संपर्क में आने से सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं। वातावरण में धुंध के कारण प्रदूषण के निचली सतह पर रहना भी मुख्य कारण है। लंबे समय तक स्मोग के संपर्क में रहना छाती के संक्रमण व अस्थमा रोगियों में दमा के अटैक का खतरा बढ़ा देता है। जिससे कि दमा व सांस की अन्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों की तकलीफ बढ़ने लगती है।

शरीर को अच्छे से ढककर घर से निकलें

डॉ आशुतोष दुबे ने बताया अभी दोपहर में गर्मी पड़ रही है। सुबह और शाम ठंड होती है। ऐसे में टहलने वाले लोगों को सुबह और शाम घर से बाहर जाते समय शरीर को अच्छे से ढक लेना चाहिए। मौसम के हिसाब से सही कपड़े पहनकर घर से बाहर निकलना चाहिए। सिर पर टोपी, हाथ में दस्ताने, पैर में जूते-मोजे और मास्क जरूर लगाएंं। इसके साथ ही हरी सब्जियों का नियमित और सीमित सेवन करना चाहिए। क्योंकि सब्जियां न केवल पोषण प्रदान करती हैं, बल्कि ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करती हैं। इसके अलावा गुनगुना पानी पीना चाहिए। धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए। यह भ्रम नहीं पालना चाहिए कि मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं। मधुमेह और ब्लड प्रेशर के मरीज मौसम बदलने पर अपने चिकित्सा से मिलकर अपनी दवाइयों का मूल्यांकन करवाएं। अक्सर चिकित्सक ठंड में दवाईयों की मात्रा बढ़ा देते हैं।

रोजाना से दो से तीन लीटर पानी पिएं

उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में लोग कम पीना पीते हैं। इससे सेहत बिगड़ सकती है। इसलिए दो से तीन लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। ऐसे नहीं करने पर ज्यादातर लोगों में खांसी और गले में खराश की शिकायत बनी रहती है। शरीर सुस्त रहता है। जहां तक हो सके हल्का गुनगुना पानी पिएं। उन्होंने बताया कि ठंड में राहत के लिए बहुत से लोग कमरा बंद कर हीटर-वार्मर या अंगीठी में कोयला-लकड़ी जलाकर सोते हैं। ऐसे में सोते-सोते बहुत से लोगों की जान चली जाती है। बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सोने वालों की मौत का कारण रंगहीन-गंधहीन जहरीली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस है।

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अस्थमा का दौरा पड़ने पर मरीज को क्या करना चाहिए?

डॉक्टर ने बताया कि मरीज अपना पहला चिकित्सक होता है। सांस के मरीजों को अस्थमा का दौरा पड़ने से दो-तीन दिन पहले इसके संकेत मिलने लगते हैं। लेकिन कामकाज और पारीवारिक व्यवस्था की वजह से अक्सर मरीज समस्या गंभीर होने पर ही चिकित्सक के पास जाते हैं। सर्दी, जुकाम और बुखार का संक्रमण होने पर अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। ऐसे में अस्थमा को ट्रिगर होने से रोकने के लिए मरीजों को अपनी निर्धारित दवाइयों का नियमित सेवन करना चाहिए, भले ही वे ठीक महसूस कर रहे हों। यदि मौसम में बदलाव के कारण लक्षण बढ़ें, तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें। तनाव अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है, इसलिए मानसिक शांति बनाए रखना जरुरी है। योग, ध्यान और गहरी सांस के अभ्यास से तनाव कम किया जा सकता है। बच्चों और 50 वर्ष के लोगों को डॉक्टर से सलाह लेकर फ्लू (इन्फ्लूएंजा) और न्यूमोकोकल वैक्सीन लगवानी चाहिए।

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