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भरवारा आरओबी: सर्वे एजेंसी गिरी विकास संस्थान ने मुर्दों का दर्ज किया बयान, एसडीएम व सेतु निगम एई पर आरोप

विरोध की सबसे बड़ी वजह यह रही कि सर्वे रिपोर्ट में राम सनेही पुत्र राम देव सिंह (गाटा संख्या 796) और हरिश्चंद्र सिंह पुत्र शंकर बख्श सिंह, विजय बहादुर (गाटा संख्या 588, 590) के बयान दर्ज दिखाए गए, जबकि ये व्यक्ति अब जीवित नहीं हैं।

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Anupam Singh
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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। गोमतीनगर स्थित भरवारा रेलवे क्रॉसिंग पर प्रस्तावित आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। स्प्रिंग डे स्कूल में जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए शिविर में स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया और आरोप लगाए कि गिरी विकास संस्थान नामक सर्वे एजेंसी ने फर्जी सर्वे रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को गुमराह किया है।

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मृतकों के नाम पर बयान दर्ज?

विरोध की सबसे बड़ी वजह यह रही कि सर्वे रिपोर्ट में राम सनेही पुत्र राम देव सिंह (गाटा संख्या 796) और हरिश्चंद्र सिंह पुत्र शंकर बख्श सिंह, विजय बहादुर (गाटा संख्या 588, 590) के बयान दर्ज दिखाए गए, जबकि ये व्यक्ति अब जीवित नहीं हैं। लोगों ने एसडीएम मनोज कुमार सिंह की उपस्थिति में सवाल उठाए कि जब संबंधित लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं, तो उनके बयान किससे और कैसे लिए गए? क्या यह फर्जीवाड़ा नहीं है?

साक्षात्कार नहीं, केवल कागजों पर हस्ताक्षर

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स्थानीय निवासी अमीर चंद्र दुबे ने बताया कि सर्वे एजेंसी ने न तो किसी से साक्षात्कार किया और न ही जमीनी सत्यापन किया। फिर भी रिपोर्ट में लिखा गया कि स्थानीय लोग जमीन देने को तैयार हैं। लोगों ने आरोप लगाया कि संस्था और जिला प्रशासन ने पूरी प्रक्रिया को औपचारिकता बनाकर जनमत की उपेक्षा की है।

 मुआवजा उठा चुके लोगों के नाम दोबारा शामिल क्यों?

एक अन्य सवाल यह उठा कि जिन लोगों को पहले ही मुआवजा दिया जा चुका है उनके नाम दोबारा सर्वे में क्यों दिखाए जा रहे हैं? इस पर अधिकारी चुप्पी साधे रहे और समिति के लोग जवाब देने से कतराते नजर आए।

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आरओबी स्थानांतरण की मांग तेज

बैठक में अधिकांश लोगों ने आरओबी को सहारा सिटी के गेट संख्या-3 पर स्थानांतरित करने की मांग की। विराज खंड के एक आवंटी ने बताया कि वहां के 25 मकानों पर असर पड़ेगा लेकिन इनका सर्वे में जिक्र तक नहीं किया गया।

 सेवानिवृत्त अधिकारी की नाराजगी

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संयुक्त निदेशक पद से सेवानिवृत्त एक स्थानीय निवासी ने प्रशासन पर नाराजगी जताई कि जिन लोगों की भूमि का आंशिक हिस्सा इस परियोजना से प्रभावित हो रहा है उन्हें भी सूची में शामिल नहीं किया गया।

 एसडीएम ने आपत्तियां मांगी, मगर असंतोष बरकरार

एसडीएम मनोज कुमार सिंह ने शिविर में मौजूद लोगों से लिखित आपत्तियां मांगीं, लेकिन लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। लोग सेतु निगम के सहायक अभियंता आत्मा सिंह और उनकी टीम पर भी आरोप लगा रहे थे कि समय पर सही जानकारी दी होती तो आज हालात अलग होते।

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