लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन पर सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन को बचाने के लिए सरकार के बजाय व्यक्तिगत रूप से अधिवक्ता पैनल से राय लेकर फाइल को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है। परिषद ने कहा कि झूठे शपथ का मामला उजागर होने के बाद भी ग्रांट थार्नटन पर कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा प्रबंधन ने उसे क्लीन चिट दे दी। इससे साफ है कि निजीकरण की आड़ में बड़ा भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
खानापूर्ति के लिए टीए से जवाब तलब
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल के 42 जनपदों के निजीकरण का प्रस्ताव तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ने पहले टेंडर हासिल करने के लिए झूठा शपथ दिया। इसमें उसने पिछले तीन वर्षों में उसके ऊपर कोई भी जुर्माना नहीं लगने की बात छिपाई। बाद में अमेरिका रेगुलेटर की ओर से 40 हजार डॉलर का जुर्माना लगाए जाने का मामला सामने आया तो खानापूर्ति के लिए पावर कारपोरेशन ने उससे तीन बार जवाब तलब किया।
ग्रांट थार्नटन को शुरुआत से बचा रहा था यूपीपीसीएल
अवधेश वर्मा ने काह कि सलाहकार कंपनी ने भी स्वीकार किया कि उस पर जुर्माना लगा था। इस पर पावर कारपोरेशन के हाथ पांव फूल गए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग ने पावर कारपोरेशन के अधिवक्ता पैनल से सलाह लेकर पूरे मामले को रफा-दफा कर टीए को दोष मुक्त कर दिया। वर्मा ने कहा कि इससे यह साबित होता है कि पावर कारपोरेशन हर हाल में ग्रांट थार्नटन को बचाना चाहता था। चूंकि कारपोरेशन का अधिवक्ता उसकी के पक्ष में ही सलाह देगा तो फिर इसका पूरा फायदा उठाया गया।
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