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यूपी में पोस्टमार्टम व्यवस्था में बड़ा सुधार: अब 4 घंटे में मिलेगी रिपोर्ट, रात में वीडियोग्राफी अनिवार्य

हत्या, आत्महत्या, यौन अपराध, क्षत-विक्षत शव, पुलिस कस्टडी में मौत और विवाह के पहले 10 वर्षों में महिला की मृत्यु जैसे संवेदनशील मामलों में रात में पोस्टमार्टम की अनुमति केवल जिलाधिकारी या उनके अधिकृत अधिकारी ही दे सकेंगे।

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Anupam Singh
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक Photograph: (Social Media)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  प्रदेश की पोस्टमार्टम व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव करते हुए उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने निर्देश जारी करते हुए कहा कि अब राज्य के किसी भी पोस्टमार्टम हाउस में अधिकतम चार घंटे के भीतर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। यह नई गाइडलाइन तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है।

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अब तक लोगों को पोस्टमार्टम के लिए 12 से 14 घंटे तक इंतजार करना पड़ता था, जिससे पीड़ित परिवारों को भारी परेशानी होती थी। लेकिन अब सरकार ने इसे मानवीय दृष्टिकोण से लेते हुए एक समयबद्ध और पारदर्शी व्यवस्था लागू की है।

डॉक्टरों की टीमें और रात की व्यवस्था

डिप्टी सीएम ने स्पष्ट किया कि जिन जिलों में अधिक संख्या में पोस्टमार्टम होते हैं, वहां के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) दो या अधिक डॉक्टरों की टीम गठित करेंगे।
रात में पोस्टमार्टम की स्थिति में 1000 वॉट की कृत्रिम लाइट और अन्य जरूरी संसाधन की व्यवस्था की जाएगी, ताकि प्रक्रिया बिना रुकावट जारी रह सके।

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रात में वीडियोग्राफी अनिवार्य

हत्या, आत्महत्या, यौन अपराध, क्षत-विक्षत शव, पुलिस कस्टडी में मौत और विवाह के पहले 10 वर्षों में महिला की मृत्यु जैसे संवेदनशील मामलों में रात में पोस्टमार्टम की अनुमति केवल जिलाधिकारी या उनके अधिकृत अधिकारी ही दे सकेंगे।
ऐसे मामलों में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। यह खर्च पीड़ित परिवार से नहीं लिया जाएगा, बल्कि रोगी कल्याण समिति और अन्य सरकारी मदों से वहन किया जाएगा।

ऑनलाइन रिपोर्ट और शव वाहन की व्यवस्था

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पोस्टमार्टम की रिपोर्ट अब ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए हर पोस्टमार्टम हाउस में एक कंप्यूटर ऑपरेटर और दो डाटा एंट्री ऑपरेटर तैनात किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, हर जिले में कम से कम दो शव वाहन की व्यवस्था की जाएगी, ताकि शवों को अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाने में परिवारजनों को कोई परेशानी न हो।

महिला डॉक्टर की मौजूदगी अनिवार्य

महिला अपराध, बलात्कार और विवाह के 10 वर्षों के भीतर महिला की मृत्यु के मामलों में महिला डॉक्टर की उपस्थिति पोस्टमार्टम पैनल में अनिवार्य की गई है।

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डीएनए सैम्पलिंग से होगी पहचान

यदि शव अज्ञात हो, तो उसकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए डीएनए सैम्पलिंग अनिवार्य कर दी गई है। इससे गुमशुदा या अज्ञात शवों की पहचान में पुलिस को सहायता मिलेगी और परिजनों को न्याय मिलने की संभावना बढ़ेगी।

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