लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव भले ही दूर हों, मगर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दल अभी से ओबीसी मतदाताओं को अपने पक्ष में लामबंद करने की रणनीति में जुट गए हैं।
भाजपा के साथ सत्ता में भागीदार निषाद पार्टी, अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने हाल के दिनों में ओबीसी बहुल इलाकों में जनसंपर्क तेज कर दिया है। इन दलों के प्रमुख नेता, जो उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं, सीधे जनता के बीच जाकर संवाद स्थापित कर रहे हैं।
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निषाद समाज के लिए तालाबों पर अधिकार का ऐलान
हाल ही में सहारनपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मत्स्य मंत्री एवं निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने कहा कि अब प्रदेश में तालाबों पर अवैध कब्जा नहीं होने दिया जाएगा, क्योंकि उन पर मछुआ समाज का अधिकार है। उन्होंने बताया कि सरकार जल संसाधनों पर मछुआरों के स्वामित्व और प्रबंधन का अधिकार सुनिश्चित कर रही है ताकि सामाजिक और आर्थिक लाभ सीधे समुदाय तक पहुँच सके।
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अपना दल (एस) की जनसुनवाई
प्रदेश सरकार में मंत्री आशीष पटेल ने मीरजापुर स्थित सांसद जनसंपर्क कार्यालय में विभिन्न क्षेत्रों से आए नागरिकों से भेंट की और उनकी समस्याएं सुनीं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनसमस्याओं का त्वरित समाधान हो ताकि जनता का सरकार पर विश्वास बना रहे।
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गांव-गांव संपर्क में जुटे ओमप्रकाश राजभर
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं यूपी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने अतरौलिया विधानसभा क्षेत्र में जनचौपाल का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से संवाद किया और कहा कि जनता के बीच जाना, उनकी बात सुनना और समाधान के प्रति गंभीर रहना ही जनसेवा का सार है।
बीजेपी के सहयोगी दल हर मंच से कर रहे हैं सपा व अखिलेश की बुराई
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा अपने सहयोगियों के जरिए अखिलेश यादव के ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ की काट खोजने की कोशिश कर रही है। इसके लिए ओबीसी वर्ग को राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर हिस्सेदारी दी जा रही है।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पार्टी की योजना है कि पंचायत चुनावों में ओबीसी समुदाय की भागीदारी बढ़ाकर 2027 तक एक मजबूत सामाजिक समीकरण तैयार किया जाए। जहाँ एक ओर विपक्ष जातीय समीकरणों के नए फार्मूले पर काम कर रहा है, वहीं भाजपा और उसके सहयोगी दल ओबीसी समुदाय के बीच सक्रिय जनसंपर्क अभियान चलाकर मजबूत आधार तैयार करने में लगे हैं। आने वाले चुनावों में यह रणनीति निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
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