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UP News: अखिलेश यादव का बड़ा आरोप, कॉरिडोर बनाने के नाम पर भाजपाई लूट तंत्र सक्रिय

गोरखपुर में बनने वाले विरासत गलियारे को लेकर राजनीति चरम पर है। कागजी विवाद में उलझे मुआवजे के पेंच को सपा मुखिया ने मुददा बना लिया है। उन्‍होंने कॉरिडोर के नाम पर भाजपा द्वारा लूट तंत्र चलाने का आरोप लगाया है।

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Vivek Srivastav
virasat corridore

प्रतीकात्‍मक Photograph: (सोशल मीडिया)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। गोरखपुर के पांडेयहाता से धर्मशाला ओवरब्रिज तक बनने वाले 3.5 किमी लंबे विरासत गलियारे के लिए दिए जाने वाला जमीन का मुआवजा अब सियासी मुददा बनता जा रहा है। समाजवादी पार्टी(samajwadi party) के मुखिया अखिलेश यादव ने इस मसले पर जमकर हमला बोला है। सपा मुखिया ने आरोप लगाया कि कॉरिडोर बनाने के नाम पर भाजपा ने लूट तंत्र बना रखा है। इशारों-इशारों में अखिलेश यादव ने अयोध्‍या में मनचाहा जमीन मुआवजा वसूलने और जमीन देने के नाम पर दयावान बनने की वाहवाही लूटने की भी बात कही। 

बाजार की कीमत के हिसाब से मिले मुआवजा

सपा मुखिया अखिलेश यादव(akhilesh yadav) ने सोशल मीडिया एक्‍स पर लिखा, 'गोरखपुर में 'विरासत गलियारे' में जमीन-मकान का मुआवजा सहमति से नहीं बल्कि बाजार की कीमत के हिसाब से देना चाहिए। सबको मालूम है जब खुद की जमीन का मामला था तो अधिकतम संभव मूल्य पर मुआवजा वसूला गया और जमीन देने के नाम पर तथाकथित दयावान बनने की वाहवाही भी लूटी गई। बाकी विवरण देने की आवश्यकता नहीं है, हर गोरखपुरवासी समझ रहा है कि बात कहां की और किसकी जमीन की हो रही है। उन्‍होंने भाजपा पर यूपी को खोखला करने का आरोप भी लगाया।'

औने-पौने दाम में जमीन लेता है भाजपाई लूट तंत्र

सच्चाई तो ये है कि 'कॉरिडोर' के नाम पर एक बहुत बड़ा भाजपाई लूट तंत्र सक्रिय है,  जो तरह-तरह के बहाने करके आसपास के लोगों की जमीन औने-पौने दाम में ले लेता है और बाद में ऊंचे दामों में बेच देता है। इस खेल में कुछ गिने-चुने भाजपाई मलाई काट लेते हैं, लेकिन स्थानीय जनता के हाथ खाली रह जाते हैं और वो अपने को ठगा महसूस करती है। इसीलिए अयोध्या और प्रयागराज में भाजपा लोकसभा हारी और बनारस में हारते-हारते बची। अब अगला नंबर मथुरा और गोरखपुर का है। 

मुआवजे पर क्‍यों फंसा है पेंच

विरासत गलियारे के चौड़ीकरण की जद में आ रहे 833 में से 200 से ज्‍यादा मकान ऐसे हैं, जो जमींदारों की जमीन पर बने हैं। जमींदारों की सहमति से घर तो बन गए, लेकिन कागज में नाम नहीं दर्ज कराया गया। अब यहीं से मुश्किल शुरू होती है। जिनके नाम जमीन नहीं है, उनको मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। हालांकि अधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के निर्देश के बाद इस मुश्किल का हल खोजने में लगे हैं, ताकि सभी को मुआवजा मिल सके।

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