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यूपी में बिजली व्यवस्था बदहाल होने से उपभोक्ता पस्त, पावर कारपोरेशन निजीकरण और सेवा विस्तार में व्यस्त

उपभोक्ताओं ने कहा कि पावर कारपोरेशन पिछले नौ महीने से निजीकरण और निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने में लगा है। उसे उपभोक्ताओं की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है।

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Deepak Yadav
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विद्युत उपभोक्ता परिषद के वेबीनार में जुड़े उपभोक्ता Photograph: (uprvup)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश में प्रीपेड मीटर तेज चलने, ट्रांसफार्मरों के बार-बार जलने, ब्रेकडाउन बढ़ने और 1912 पर बिजली से जुड़ी समस्या का सही निस्तारण नहीं होने की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। इन समस्याओं पर बिजली कंपनियों की उदासीनता से उपभोक्ताओं में आक्रोश है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के वेबीनार में शनिवार को कई जनपदों से जुड़े बिजली उपभोक्ताओं ने यह मुद्दा उठाया। 

निजीकरण में डूबा विभाग, बिजली व्यवस्था बेपटरी


विनोद कुमार गुप्ता, हरेन्द्र कुमार, अमित कुमार राजपूत और आलोक सिंह ने कहा कि पावर कारपोरेशन पिछले नौ महीने से निजीकरण और निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने में लगा है। उसे उपभोक्ताओं की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। उसी का नतीजा है कि प्रदेश की बिजली व्यवस्था लगातार बदहाल होती जा रही है। ऊर्जा मंत्री ने इस बात को समझ गए हैं। भले ही उन्होंने तीन साल बाद यह स्वीकार किया।

उपभोक्ता सेवा की सुध नहीं

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परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता सेवा में सुधार के लिए 25 वर्षों में एक बार भी पावर कारपोरेशन में किसी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश नहीं की। वहीं, यूपीपीसीएल के मुखिया आशीष गोयल उपभोक्ताओं की समस्याओं को दरकिनार कर निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली टेंडर मूल्यांकन कमेटी के अध्यक्ष और पावर कारपोरेशन के निदेशक (वित्त) निधि कुमार नारंग के सेवा विस्तार पर अड़े हैं। 

सरकार की साख गिराने वालों पर कार्रवाई की मांग

वर्मा ने कहा कि सेवा विस्तार का प्रस्ताव ऊर्जा विभाग ने खारिज कर दिया है। इसके बावजूद कापोरेशन अध्यक्ष नारंग का कार्यकाल छह महीने बढ़ाने के लिए दबाव रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता को पांच साल में एक ही बार सरकार के कार्यकाल को बढ़ाने या घटाने का मौका मिलता है। वर्ष 2027 में फिर यह मौका मिलेगा। उपभोक्ता भी तैयार हैं कि उन्हें क्या फैसला करना है। इसलिए प्रदेश सरकार की छवि धूमिल करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

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