/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/16/d6MP8ASvxDw8qf5hlJRU.jpeg)
शिक्षकों के लिए बंदी की मांग उठा रहें सांसद-विधायक Photograph: (Social Media)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालय सोमवार से फिर से खुल गए हैं। हालांकि बच्चों के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश 30 जून तक बढ़ा दिया गया है, लेकिन शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों को स्कूल पहुंचना अनिवार्य किया गया है। इस संबंध में सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं।
विद्यालयों में अधूरे कार्य होंगे पूरे
बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) राम प्रवेश ने बताया कि जिले के 1618 परिषदीय विद्यालयों को निर्धारित समय पर सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक खोलने के आदेश दिए गए हैं। खंड शिक्षा अधिकारियों को विद्यालयों का निरीक्षण करने के निर्देश भी दिए गए हैं। बच्चों की पढ़ाई 1 जुलाई से शुरू होगी, तब तक शिक्षकों को नए शैक्षिक सत्र की तैयारियों में जुटने को कहा गया है। साथ ही, विद्यालय से जुड़े अधूरे कार्यों को भी इसी अवधि में पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं।
नामांकन पर भी रहेगा फोकस
बीएसए कार्यालय की ओर से स्कूलों में नामांकन प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। जिन विद्यालयों में नामांकन की संख्या शून्य है, उनकी समीक्षा की जा रही है। अधिकारियों ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों का प्रवेश दिलाने के लिए विद्यालय से संपर्क करें। अगर स्कूल बंद मिले तो विभाग को तुरंत सूचना दें।
शिक्षकों को भी अवकाश देने की उठी मांग
प्रदेश में पड़ रही प्रचंड गर्मी को देखते हुए कई जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर शिक्षकों और कर्मचारियों को भी राहत देने की मांग की है। कौशांबी से सपा सांसद पुष्पेंद्र सरोज, एमएलसी आशुतोष सिन्हा, अरुण पाठक और डॉ. बाबूलाल तिवारी ने पत्र भेजकर विद्यालयों को 30 जून तक पूर्णतः बंद रखने की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि आवश्यक कार्य ऑनलाइन माध्यम से संपन्न कराए जाएं।
शिक्षण सत्र में बदलाव की भी मांग
उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर परिषदीय विद्यालयों का शिक्षण सत्र पूर्व की भांति 1 जुलाई से 20 मई तक रखने की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने कहा कि वर्तमान में 1 अप्रैल से शुरू होने वाला सत्र अव्यवहारिक साबित हो रहा है। गर्मी के कारण बच्चों की उपस्थिति और नामांकन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में पूर्व की व्यवस्था को पुनः लागू किया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें- लखनऊ विश्वविद्यालय की नई कुलसचिव बनीं डॉ. भावना मिश्रा, वित्त नियंत्रक पद अब भी खाली