Advertisment

Politics : अमित शाह के केशव मौर्य को 'मेरा मित्र' कहने के सियासी मायने, कहीं पर निगाहें-कहीं पर निशाना

Politics : भाजपा हाईकमान के संकेत अक्सर पार्टी की भावी सियायत की​ दिशा तय करते हैं। कुछ ऐसा ही संकेत केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को यूपी में देकर गए।

author-image
Deepak Yadav
एडिट
home minister amit shah statement

अमित शाह ने केशव मौर्य को 'मेरा मित्र' कहकर दिया बड़ा सियासी संदेश Photograph: (YBN)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। आमतौर पर किसी को मित्र कहना सामान्य बात है। लोग अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में अपनों को दोस्त, मित्र कहकर संबोधित करते रहते हैं। लेकिन, जिस सियासत के बारे में कहा जाता है कि वहां न तो दोस्ती स्थायी है और न दुश्मनी, वहां मित्रता का पैमाना अक्सर परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। सियासतदान वक्त पड़ने पर धुर विरोधियों को भी मित्र कहकर बुलाने से परहेज नहीं करते तो कई बार अपने खास यहां तक की अपनी ही पार्टी के मित्रों की सियासी जमीन खोदने में पीछे नहीं रहते। उत्तर प्रदेश भाजपा और सरकार में शामिल नेताओं की मित्रता भी कई मौकों पर सवालों के घेरे में नजर आई है। वहीं अब लखनऊ आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का डिप्टी सीएम केशव मौर्य को 'मेरे मित्र' कहकर संबोधित करना चर्चा में बना हुआ है। इस वीडियो की क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है।

Advertisment

सीएम योगी और केशव मौर्य के रिश्ते

यूपी पुलिस भर्ती में चयनित युवाओं के नियुक्ति पत्र समारोह में जिस तरह से अमित शाह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष केशव मौर्य के लिए इस विशेषण का इस्तेमाल किया, उसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह सियासी संकेत देने में माहिर माने जाते हैं। यूपी सरकार की बात करें तो विभिन्न मौकों पर सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बीच अनबन की खबरें सुर्खियों में रही हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा के लचर प्रदर्शन के बाद बयानबाजी से इसे हवा भी मिली। केशव मौर्य कैबिनेट बैठक में भी शामिल नहीं हुए। केशव के नई दिल्ली जाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात को अक्सर सीएम से उनके मतभेद से जोड़ा जाता रहा है। यहां तक की कई बार सीएम की कुर्सी जाने तक की चर्चाएं तेज होती रहीं हैं। अहम बात है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी कभी इस पर विराम लगाने की कोशिश नहीं की। ये अलग बात है कि योगी आदित्यनाथ अभी भी अपनी कार्यशैली के अनुसार काम कर रहे हैं। ऐसे में अब अमित शाह का सीएम योगी की मौजूदगी में केशव मौर्य को अपना दोस्त बताना अहम माना जा रहा है। 

योगी के आने से केशव के सपने हुए चकनाचूर

Advertisment

अमित शाह कोई भी शब्द ​बेहद सोच समझकर बोलते हैं। यूपी में जब भाजपा का सत्ता का वनवास खत्म हुआ था, तब केशव मौर्य प्रदेश अध्यक्ष थे। माना जा रहा था कि उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है। उनकी तब अमित शाह से नजदीकी आम थी। लेकिन, ऐन मौके पर योगी आदित्यनाथ को सीएम पद की कमान सौंपकर केशव मौर्य को बड़ा झटका दे दिया गया। योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा के बाद केशव मौर्य की तबीयत भी बिगड़ गई थी और अमित शाह उन्हें देखने अस्पताल भी पहुंचे थे। बाद में उन्हें दिनेश शर्मा के साथ डिप्टी सीएम बनाकर कुछ राहत देने की कोशिश की गई। यहां तक की लोक निर्माण जैसा भारी भरकम महकमा दिया गया। 

विधानसभा चुनाव में हार का केशव मौर्य को उठाना पड़ा खामियाजा

इसके बाद विधानसभा चुनाव 2022 में सिराथू से केशव मौर्य को पल्ल्वी पटेल से हार का सामना करना पड़ा। पूरे प्रदेश में जनसभाएं करने वाले योगी आदित्यनाथ ने सिराथू से दूरी बनाए रखी। इसके बाद केशव मौर्य को जातीय समीकरणों के कारण फिर डिप्टी सीएम तो बनाया गया। लेकिन, जिस तरह से कम अहमियत वाला विभाग दिया गया, उससे साफ हो गया कि उनके और सीएम योगी आदित्यनाथ की दूरी बरकरार है। इसके बाद से अब तक केशव मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने की चर्चांओं को अक्सर बल मिलता रहा है। अमित शाह के बयान के बाद अटकलों का बाजार एक बार फिर गर्म है। राजनीतिक विश्लेषक शाह के बयान पर कई तरह के अनुमान लगा रहे हैं।

Advertisment

योगी के रिपीट होने का दावा कर चुके हैं अमित शाह

यूपी की सियासी गलियारों में इसे लेकर इसलिए भी चर्चा हो रही है, क्योंकि मंच पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी मौजूद थे। लेकिन, शाह ने उनके लिए सामान्य संबोधन ही प्रयोग किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे के भाव भी शाह के संबोधन के दौरान सामान्य दिखे। हालांकि कार्यक्रम के दौरान मंच पर सीएम योगी और अमित शाह के दौरान बीच-बीच में बातचीत भी हुई। इ​सलिए कई सियासी जानकार ऐसा नहीं मान रहे हैं कि अमित शाह ने केशव मौर्य के जरिए योगी आदित्यनाथ को कोई संदेश दिया है। क्योंकि कुछ समय पहले वह संसद में स्वयं अखिलेश यादव से योगी आदित्यनाथ के रिपीट होने की बात कह चुके हैं।

अखिलेश यादव के पीडीए पर नजर

Advertisment

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, सियासत का सामान्य ककहरा जानने वाला भी समझता है कि यहां दो और दो हमेशा चार नहीं होता। ऐसे में सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन, केशव मौर्य को अपना मित्र बताकर अमित शाह ने अखिलेश यादव के पीडीए को लेकर जरूरत संकेत दिए हैं। अखिलेश यादव अक्सर केशव मौर्य को निशाने पर लेते रहते हैं। उन्हें स्टूल पर बैठने वाला डिप्टी सीएम से लेकर कई बार वह ताना मार चुके हैं। मिशन 2027 को लेकर भी अखिलेश यादव पीडीए के फॉर्मूले को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। ऐसे में केशव मौर्य के जरिए अमित शाह ने कहीं न कहीं अखिलेश यादव को घेरने का संदेश दिया है, ऐसा भी माना जा रहा है।

अखिलेश यादव को मिला तंज कसने का मौका

इस बीच अखिलेश यादव ने भी इसे लेकर तंज कसा है। उन्होंने सोमवार को अपने एक्स हैंडल पर लिखा, 'इन्होंने इश्तहार में न लगाया उनका चित्र। उन्होंने किसी और को कह दिया ‘मित्र’!' माना जा रहा है कि अखिलेश यादव आगे भी शाह के बयान का हवाला देकर सीएम योगी पर तंज कसते नजर आएंगे।

यह भी पढ़ें-प्रसव के बाद बिना सहमति कर दी महिला की नसबंदी, KGMU के पूर्व कुलपति समेत चार डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज

यह भी पढ़ें : UP कारागार विभाग में 11 अफसरों के तबादले, देखें किसे कहां भेजा गया

यह भी पढ़ें : Crime News: पारा क्षेत्र में संदिग्ध हालत में शव मिलने से क्षेत्र में सनसनी

यह भी पढ़ें : भीषण गर्मी में लग सकता है महंगी बिजली का झटका, दरों में 30% बढ़ोतरी का प्रस्ताव आयोग में दाखिल

Advertisment
Advertisment