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Corruption: दिल्ली की काशी टोलवे कंपनी ने की 63 करोड़ की स्टांप शुल्क चोरी, DM शैलेश कुमार ने पकड़ा

भदोही के जिलाधिकारी शैलेश कुमार की जांच में दिल्ली की काशी टोलवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा 62.87 करोड़ रुपये की स्टांप शुल्क चोरी का खुलासा हुआ है।

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Anupam Singh
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भदोही डीएम शैलेश कुमार की फाइल फोटो।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता ।  उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद में लालानगर टोल प्लाजा के संचालन में भारी अनियमितता सामने आई है। भदोही के जिलाधिकारी शैलेश कुमार की जांच में दिल्ली की काशी टोलवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा 62.87 करोड़ रुपये की स्टांप शुल्क चोरी का खुलासा हुआ है।

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कंपनी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से 18 मार्च 2023 को 15 वर्षों के लिए 3,144 करोड़ रूपये का टोल प्लाजा ठेका प्राप्त किया था। मगर नियमों के विरुद्ध कंपनी ने केवल 100 रूपये के स्टांप पेपर पर अनुबंध कर लिया, जबकि नियमानुसार इतने बड़े ठेके पर 2% स्टांप शुल्क देना अनिवार्य था।

तीन बार नोटिस, फिर RTI से हुआ खुलासा

जांच में सामने आया कि उप निबंधन कार्यालय औराई से केवल100 रूपये के स्टांप पर अनुबंध कराया गया था। जिलाधिकारी के निर्देश पर रजिस्ट्री विभाग ने जनवरी से मार्च 2024 के बीच तीन बार कंपनी को नोटिस भेजा, मगर किसी भी नोटिस का जवाब नहीं मिला। इसके बाद अप्रैल में आरटीआई दायर की गई, जिसमें मिले दस्तावेजों से अनुबंध की सच्चाई उजागर हुई।

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डीम कोर्ट में वाद दायर

अब कंपनी के खिलाफ कलेक्टर स्टांप कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके तहत कंपनी को स्टांप शुल्क के अलावा भारी जुर्माना भी देना होगा, जिससे कुल देय राशि 70 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई तेज

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इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला है। 19 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने रीवा टोलवे प्रा. लि. बनाम मध्य प्रदेश सरकार के मामले में स्पष्ट किया कि टोल प्लाजा का संचालन अनुबंध के बजाय लीज मॉडल पर किया जाना चाहिए और ऐसी स्थिति में कंपनियों को ठेके की राशि का 2% स्टांप शुल्क देना होगा। इसके बाद प्रमुख सचिव राजस्व ने प्रदेश के सभी टोल प्लाजा की जांच के निर्देश दिए थे, जिसके तहत यह कार्रवाई की गई।

प्रदेश भर में 10,000 करोड़ की चोरी की आशंका

उप महानिरीक्षक स्टांप पंकज कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश के 99 प्रतिशत टोल प्लाजा 100 रूपये के स्टांप पेपर पर अनुबंधित हैं। यदि सभी की जांच की जाए, तो सरकार को 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिल सकता है, जो अब तक चोरी किया जा चुका है।

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टोल प्लाजा माफिया पर शिकंजा कसने की तैयारी

राजस्व विभाग और जिला प्रशासन अब राज्य के अन्य टोल प्लाजा की जांच की दिशा में सक्रिय हो चुका है। सूत्रों के अनुसार जल्द ही 50 से अधिक टोल प्लाजा की स्टांप शुल्क जांच प्रारंभ की जा सकती है।

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