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Crime Story: 16 चालान के बाद भी हाईवे पर दौड़ती रही बस, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर पलटी तब खुला राज

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर हादसे का शिकार हुई बस पर पहले से 16 चालान थे। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई। हादसे में 13 यात्री घायल हुए। प्रवर्तन विभाग की लापरवाही और सड़क सुरक्षा पर प्रशासन की सुस्ती फिर उजागर हुई।

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Shishir Patel
Expressway Accident

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर पलटी बस

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। हाईवे पर वाहन चालकों द्वारा किसी प्रकार से यातायात नियमों धज्जियां उड़ाई जा रही है। लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा व्यवस्था की पोल तब खुल गई जब 16 बार चालान कटने के बावजूद एक निजी बस हाईवे पर फर्राटा भरती रही और शुक्रवार देर रात भीषण हादसे का शिकार हो गई। ओवरस्पीडिंग, खतरनाक ड्राइविंग और यातायात नियमों की अनदेखी के चलते हुई इस दुर्घटना में 13 यात्री घायल हो गए। सवाल यह है कि जब वाहन पर पहले ही दर्जनों चालान दर्ज थे, तो प्रवर्तन विभाग ने उसे सड़क पर उतरने की अनुमति कैसे दी? क्यों नहीं उसका परमिट रद्द किया गया। 

प्रवर्तन विभाग की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल 

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस की रफ्तार बेहद तेज थी, जिससे नियंत्रण खोकर वह रेवरी टोल प्लाजा के पास पलट गई और 15 फीट गहरी खाई में जा गिरी। चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और घायलों को बाहर निकाला। वहीं अब इस हादसे के बाद प्रवर्तन विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। एआरटीओ प्रवर्तन का दावा है कि बस के कागज सही थे, लेकिन 16 चालान के बावजूद कोई कठोर कार्रवाई न होना विभाग की संवेदनहीनता उजागर करता है।

प्राइवेट बसें दिन-रात बिना जांच के भरती रहती हैं फर्राटा 

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की प्राइवेट बसें दिन-रात बिना जांच के फर्राटा भरती हैं। चालान के बाद भी यदि बसें बिना रोक-टोक सड़कों पर दौड़ रही हैं, तो यह सीधे तौर पर प्रवर्तन और ट्रैफिक पुलिस की नाकामी को दर्शाता है। इसी लापरवाही की वजह से हाईवे व अन्य सड़कों पर सड़क हादसे थम नहीं रहे है। ज्यादातर हादसे नियमों का न पालन करने से हो रहा है। इसके बादे भी जिम्मेदार विभाग इसको लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है। जब कोई हादसा हो जाता है तब कुछ दिन एआरटीओ प्रवर्तन विभाग संज्ञान लेता है। जबकि चालान कटने वाले वाहनों पर अगर सख्ती किया जाए तो काफी हद तक हादसों को रोका जा सकता है। चूंकि ऐसे प्राइवेट बसों के खिलाफ कार्रवाई न होने के कारण ये दिन रात सड़कों पर गलत तरीके से फर्राटा भरते रहते है। एेसे में इसका खामियाजा बस में सफर कर रहे लोग या सड़क पर चलने वाले को भुगतना पड़ रहा है। 

यह रहा पूरा घटना क्रम

सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े करने वाला बड़ा हादसा शुक्रवार तड़के काकोरी थाना क्षेत्र में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर हुआ। तेज रफ्तार और लापरवाही से चलाई जा रही एक प्राइवेट बस पलटकर करीब 15 फीट गहरी खाई में जा गिरी, जिससे यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। हादसे में 13 यात्री घायल हुए, जबकि एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।यह बस दिल्ली के आनंद विहार से बिहार के मुजफ्फरपुर जा रही थी और उसमें करीब 50 यात्री सवार थे। बताया जा रहा है कि बस की गति इतनी अधिक थी कि वह रेवरी टोल प्लाजा के पास नियंत्रण खो बैठी, रेलिंग तोड़ते हुए नीचे जा गिरी।  हादसे के बाद ड्राइवर और कंडक्टर मौके से फरार हो गए।

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एआरटीओ प्रवर्तन व डीसीपी ट्रैफिक ने यह दी सफाई 

प्रारंभिक जांच में अनुमान है कि चालक को झपकी आने के कारण बस अनियंत्रित हुई। पुलिस ने बस को क्रेन से हटवाकर सड़क यातायात सामान्य कराया और अन्य यात्रियों को दूसरी गाड़ी से गंतव्य के लिए रवाना किया। एआरटीओ प्रवर्तन राजीव बंसल ने बताया कि बस के कागज़ सही मिले हैं, हालांकि प्रवर्तन कार्रवाई में कर्मचारियों की कमी एक चुनौती है। वहीं, डीसीपी ट्रैफिक कमलेश दीक्षित का कहना है कि चालान करना ट्रैफिक पुलिस का कार्य है, जबकि डीएल निरस्तीकरण और रजिस्ट्रेशन रद्द करना परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है।

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