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किशोर न्याय और संवेदनशील पुलिसिंग पर एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पुलिस मुख्यालय, गोमतीनगर विस्तार में उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति, इलाहाबाद के मार्गदर्शन में महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन और यूनिसेफ के समन्वय से विशेष किशोर पुलिस इकाइयों और अन्य बाल संरक्षण इकाइयों के मध्य समन्वय एवं क्षमतावर्धन के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि अजय भनोट, माननीय न्यायमूर्ति एवं अध्यक्ष किशोर न्याय समिति, इलाहाबाद हाईकोर्ट, और विशिष्ट अतिथि राजीव कृष्ण, पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश द्वारा दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया।
बच्चों से जुड़े प्रत्येक प्रकरण में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण
बाल दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन द्वारा किशोरों में लैंगिक जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए शॉर्ट फिल्म बढ़ते बच्चे प्रदर्शित की गई, जिसमें बाल विवाह, पोक्सो अपराध, कम उम्र में अनचाहे संबंध और उनके दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला गया। फिल्म ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट के सहयोग से बनाई गई है और इसमें अभिनय करने वाले सभी कलाकार उसी आयु वर्ग के छात्र हैं। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा कि संवेदनशीलता के बिना जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम का प्रभावी पालन संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारियों का व्यवहार बच्चों के मनोबल और मामले के निष्पादन पर सीधा प्रभाव डालता है। पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने कहा कि बच्चों से जुड़े प्रत्येक प्रकरण में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
बाल संरक्षण सभी विभागों का संयुक्त प्रयास : एडीजी पद्मजा चौहान
उन्होंने सही प्रारंभिक आकलन, संवेदनशीलता, अनुभव और विधिक ज्ञान का संतुलित उपयोग करने पर बल दिया। उन्होंने बरेली में एक छह वर्षीय बच्ची की सुरक्षा और जीवन रक्षा का उदाहरण देते हुए संवेदनशील पुलिसिंग की महत्ता को रेखांकित किया। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के चीफ आॅफ फील्ड आॅफिसर डॉ. जकारी एडम ने कहा कि एसजेपीयू पुलिस-बच्चों के संवाद को अधिक मानवतावादी और संरक्षण-केंद्रित बनाता है। महिला कल्याण विभाग की निदेशक संदीप कौर एवं एडीजी पद्मजा चैहान ने कहा कि बाल संरक्षण सभी विभागों का संयुक्त प्रयास है और कार्यशाला का उद्देश्य यही सोच विकसित करना है।
कार्यशाला में प्रदेशभर के अधिकारियों ने लिया भाग
कार्यक्रम में बाल संरक्षण, बच्चों के विरुद्ध हिंसा, किशोर न्याय प्रणाली, लैंगिक अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम, बाल अनुकूल पुलिसिंग, एसजेपीयू, डीसीपीयू, सीएचएल समन्वय और मिशन शक्ति केंद्र की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम का संचालन महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला ने किया। कार्यशाला में प्रदेश भर से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, विशेष किशोर पुलिस इकाईयों के प्रभारी, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और कमिश्नरेट/जनपद स्तर के नोडल अधिकारी उपस्थित रहे। इस कार्यशाला से पुलिस अधिकारियों को बच्चों के सर्वोत्तम हित, संवेदनशीलता और पुनर्वास आधारित निर्णय लेने के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
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