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CBI अधिकारी बनकर किया 'डिजिटल हाउस अरेस्ट', 56 लाख की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार

लखनऊ साइबर क्राइम पुलिस ने फर्जी CBI अधिकारी बनकर महिला को वीडियो कॉल के ज़रिए ‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ में रखकर ₹56 लाख की ठगी करने वाले गिरोह के मुख्य सरगना सहित 3 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है।

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Shishir Patel
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साइबर ठगी का खुलासा करतीं पुलिस।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता । राजधानी की साइबर क्राइम थाना लखनऊ की टीम ने फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर महिला को 'डिजिटल हाउस अरेस्ट' में रखकर 56 लाख रुपये की ठगी करने वाले तीन शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में गिरोह का मास्टरमाइंड चित्रांश कुंवर भी शामिल है। गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम मो. जैद पुत्र मो. सलमान, निवासी खुर्रमनगर, थाना इंदिरानगर, लखनऊ, मोहन कुमार रावत पुत्र शत्रोहन लाल, निवासी सुगामऊ, इंदिरानगर, लखनऊ, चित्रांश कुंवर पुत्र राकेश चन्द्र, निवासी 72-A इंदिरानगर, लखनऊ (मुख्य सरगना) है। इनके कब्जे से 7 मोबाइल फोन, 1,70,000 रुपए नगद, 11 डेबिट कार्ड, 2 क्रेडिट कार्ड, 3 चेकबुक, 1 थार गाड़ी (ठगी से खरीदी गई) बरामद किया है।

साइबर ठग पीड़िता को डराकर 56 लाख रुपये ठग लिए थे 

18 जुलाई को  रीता भसीन को एक फोन कॉल आया जिसमें कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और धमकाया कि उनका मोबाइल नंबर और आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग व आतंकवादी गतिविधियों में प्रयोग हुआ है। पीड़िता को बताया गया कि मुंबई के अंधेरी ईस्ट थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। इसके बाद कॉल वीडियो कॉल में तब्दील हुआ, जहां एक व्यक्ति वर्दी में दिखाई दिया और गिरफ्तारी की धमकी देने लगा।आरोपियों ने एकांत कमरे में रहने, परिवार से अलग रहने और संपत्ति सुप्रीम कोर्ट के नाम ट्रांसफर करने का दबाव बनाते हुए पीड़िता को डराकर 56 लाख रुपये ठग लिए। इस पूरे घटनाक्रम में पीड़िता को वीडियो कॉल के माध्यम से डिजिटल रूप से 'गिरफ्तार' रखा गया था।

पीड़िता को फर्जी सीजर ऑर्डर और गिरफ्तारी वारंट भी भेजे गए थे 

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इस गिरोह का तरीका अत्यंत शातिर है। यह लोग पहले नागरिकों को उनके आधार कार्ड या मोबाइल नंबर के दुरुपयोग का झांसा देकर डरा-धमकाते हैं। फिर खुद को पुलिस, ईडी या सीबीआई अधिकारी बताकर उन्हें गिरफ्तारी व कानूनी कार्रवाई का डर दिखाते हैं। इसके बाद पीड़ित को वीडियो कॉल पर एकांत में बैठाकर उनसे पूछताछ के बहाने भारी धनराशि वसूलते हैं।पीड़िता को फर्जी सीजर ऑर्डर और गिरफ्तारी वारंट भी भेजे गए थे ताकि वह डरकर पैसे ट्रांसफर कर दे। बाद में ठगी के पैसे को अलग-अलग खातों और डिजिटल माध्यमों से यूएसडीटी (क्रिप्टोकरेंसी) में बदलकर आपस में बांट लिया जाता है।

पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटीं

साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में गठित टीम ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर 24 जुलाई को लखनऊ से गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया। इससे पहले 23 जुलाई को इसी गिरोह के तीन अन्य आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है।पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है और इनके विदेशी खातों तथा डिजिटल लेनदेन की भी जांच की जा रही है।

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