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Delhi Blast में फंसी डॉ. शाहीन : जैश-ए-मोहम्मद से 10 साल के खतरनाक कनेक्शन का खुलासा

दिल्ली बम धमाके मामले में नाम सामने आने के बाद डॉ. शाहीन की जांच तेज कर दी गई है। सुरक्षा एजेंसियां उनके सात बैंक खातों, मेडिकल कॉलेज में गतिविधियों की पड़ताल कर रही हैं। साथ ही स्वास्थ्य शिविर चलाने वाले फंडिंग का भी सत्यापन किया जा रहा है।

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Shishir Patel
Dr. Shaheen

डॉ. शाहीन

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। दिल्ली ब्लास्ट के एक सनसनीखेज मामले में लखनऊ की डॉ. शाहीन ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। सिर्फ एक गायब डॉक्टर का मामला नहीं, बल्कि 10 साल से पाक समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क में सक्रिय शाहीन अब अंतरराष्ट्रीय संपर्क और संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के गहरे रहस्यों के केंद्र में हैं।

सात बैंक खाते, लेनदेन पर एजेंसियों की नजर

सुरक्षा एजेंसियों को डॉ. शाहीन के सात बैंक खातों का पता चला है कानपुर में तीन, लखनऊ में दो और दिल्ली में दो। इन खातों में हुए लेनदेन की जानकारी जुटाई जा रही है। एजेंसियां मानती हैं कि खातों में लेनदेन करने वालों का पता चलने पर बड़ा खुलासा हो सकता है।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से गायब होने की कहानी

डॉ. शाहीन ने जनवरी से अक्टूबर 2025 तक कितनी बार मेडिकल कॉलेज का दौरा किया, किससे मुलाकात की, कहां रुकी सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। वह सामान्य महिला फैकल्टी की तरह काम करती थी, छुट्टियां कम लेती और बच्चा लेकर अस्पताल आती। दिसंबर 2013 में उसने अचानक एचओडी का कार्यभार सहयोगी को सौंप दिया और लौटकर नहीं आई। लगातार नोटिस और पत्राचार के बाद भी जवाब नहीं मिला। 2016 में उसके पंजीकृत पते पर कर्मचारी भेजे गए, लेकिन पता गलत निकला। अंततः 2021 में उसे बर्खास्त कर दिया गया।

डा. शाहीने के साथी डॉक्टर भी लापता

डॉ. शाहीन अकेली नहीं थी। मेडिकल कॉलेज से कुल सात डॉक्टर लापता हो गए थे, जिनमें फिजियोलॉजी, एनाटॉमी, मेडिसिन और सर्जरी विभाग के डॉक्टर शामिल हैं। सभी को नोटिस देने के बाद बर्खास्त किया गया था। एजेंसियां अब उनकी वर्तमान लोकेशन, कॉलेज में व्यवहार और बर्खास्तगी से जुड़े रिकॉर्ड खंगाल रही हैं।

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भाई डॉ. परवेज कानपुर शहर में नेटवर्क फैलाने की कोशिश में थे

एजेंसियों के अनुसार, शाहीन लंबे समय तक कानपुर और आसपास रही। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठन के संपर्क में रही और कई देशों में इस्लाम धर्म का प्रचार कर रही है। उसके भाई डॉ. परवेज कानपुर में सक्रिय रहे और शहर में नेटवर्क फैलाने की कोशिश में थे। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि डॉ. परवेज कब-कब शहर आया और किन लोगों से संपर्क में रहा।

स्वास्थ्य शिविर चलाने वाले एनजीओ का भी सत्यापन शुरू 

शाहीन के नेटवर्क का पता लगाने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर चलाने वाले एनजीओ का भी सत्यापन शुरू किया गया है। इन एनजीओ को मिलने वाली फंडिंग, खातों के लेनदेन और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा शहर में आने वाले 31 कश्मीरी व्यापारी जो संवेदनशील इलाकों में कमरे किराये पर लेकर रहते हैं, उनका भी सत्यापन किया जा रहा है।

यह पूरा मामला केवल दिल्ली बम धमाके तक सीमित नहीं

एजेंसियों का मानना है कि डॉ. शाहीन का मामला केवल दिल्ली बम धमाके तक सीमित नहीं है। उसके संपर्क और वित्तीय लेनदेन के पीछे व्यापक नेटवर्क सामने आ सकता है। कानपुर और लखनऊ के बैंक खातों से जुड़े हर छोटे-से-छोटे ट्रांज़ैक्शन पर नजर रखी जा रही है, ताकि संगठन से जुड़े लोगों की पहचान की जा सके। इस सनसनीखेज मामले ने अब तक के मेडिकल कॉलेज इतिहास और सुरक्षा एजेंसियों की जांच में एक नई दिशा दे दी है।

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डॉ. शाहीन के 10 साल से जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी होने का खुलासा

बता दें कि 10 नवंबर को लाल किला के पास हुए ब्लास्ट मामले में नाम आने वाली लखनऊ की डॉ. शाहीन शाहिद पर अब तक की जांच में सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) सूत्रों का कहना है कि डॉ. शाहीन लगभग 10 साल से पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी हुई थी। शाहीन ने 2015 में जैश-ए-मोहम्मद से संपर्क किया और पहले एक साल तक संगठन को संवेदनशील सूचनाएं भेजने का काम किया। 2016 में वह संगठन की सक्रिय सदस्य बन गई। इसके बाद से वह लगातार संगठन के नेटवर्क में रही और एजेंसियों के लिए चुनौती बनी।

पिछले 10 वर्षों में डॉ. शाहीन कहां-कहां रही, इस पता लगाने में जुटीं एजेंसियां 

सुरक्षा एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि पिछले 10 वर्षों में डॉ. शाहीन कहां-कहां रही, किन लोगों से संपर्क में आई और उसके नेटवर्क में कौन-कौन शामिल रहा। एजेंसियां उसके बैंक लेनदेन, संपर्क और वित्तीय सहयोगियों की भी गहन जांच कर रही हैं।डॉ. शाहीन का नाम दिल्ली में हुए ब्लास्ट मामले में आने के बाद उसकी गतिविधियों की गहन पड़ताल शुरू की गई है। एजेंसियों का मानना है कि संगठन के लिए उसकी भूमिका केवल जानकारी पहुंचाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि उसने सक्रिय रूप से संगठन के लिए सहयोग और नेटवर्क फैलाने में मदद की।NIA और अन्य सुरक्षा एजेंसियां डॉ. शाहीन के पूरे नेटवर्क को पकड़ने और उसके सहयोगियों की पहचान करने के लिए संवेदनशील खुफिया जांच कर रही हैं।

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