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विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में दाखिल किया लोक महत्व प्रस्ताव Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिाणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मामला लगातार विवादों में फंसता जा रहा है। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने गुरुवार को नियामक आयोग में फिर एक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल करके निजीकरण की प्रकिया तत्काल निरस्त करने की मांग की। परिषद ने कहा कि अदाणी ग्रुप पर नेटवर्थ और इक्विटी शेयर कैपिटल का मामला आयोग में लंबित है। उसने अभी तक अपना स्प्ष्टीकरण नहीं दिया और प्रदेश की दो बिजली कंपनियों की बोली लगाने की जुगत में है।
अदाणी-टाटा से संपर्क में पावर कारपोरेशन प्रबंधन
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि आयोग ने बिजली निजीकरण (Electricity Privatisation) के मसौदे में वित्त्तीय कमियां निकालकर उसे वापस भेज दिया है। इसके बावजूद पावर कारपोरेशन गुपचुप तरीके से प्रक्रिया में आगे बढ़ा रहा है। इस पर आयोग को तत्काल रोक लगानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन और पावर कारपोरेशन प्रबंधन अदाणी ग्रुप, टाटा एनपीसीएल औरा टोरेंट पावर के संपर्क हैं। इनके जरिए दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को तोड़कर बनने वाली पांच बिजली कंपनियों की नेटवर्थ व इक्विटी शेयर कैपिटल को कम आंकलित कर निजी घरानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
बोली लगाने के योग्य नहीं निजी घराने
अवधेश वर्मा ने कहा कि 2023 में अदाणी इलेक्ट्रिसिटी व ट्रांसमिशन लिमिटेड ने नोएडा और गाजियाबाद नगर निगम क्षेत्र के लिए समानांतर लाइसेंस के लिए नियामक आयोग में याचिका दाखिल की थी। आयोग के अदाणी ग्रुप की नेटवर्थ और इक्विटी शेयर कैपिटल पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वर्ष 2021-22 में कंपनी की बैलेंस शीट का हवाल दिया था। इसके तहत उसका कुल एसेट 12666 करोड़ और देनदारी लगभग 8689 करोड़ थीं। इसके मुकाबले इक्विटी शेयर पूंजी मात्र 1099 करोड़ थी। वर्मा ने कहा कि देश के सबसे बड़े उद्योगपति अदाणी ग्रुप का नेटवर्थ और इक्विटी शेयर कैपिटल का मामला आज भी आयोग में लंबित है। विडंबना है कि अदाणी ग्रुप और अन्य निजी घराने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों की बिजली व्यवस्था खरीदने की होड़ में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर दोनों बिजली कंपनियों की नेटवर्थ और इक्विटी शेयर कैपिटल को आंका जाए तो देश का कोई भी निजी घराना इनकी बोली बोली लगाने की योग्यता नहीं रखता।
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