लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण मसौदे में वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट नियामक आयोग ने ऊर्जा विभाग को भेजी है। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण पर आयोग से सरकार की तरफ से राय मांगने के विरोध में लोक महत्व के प्रस्ताव दाखिल किए थे। यह रिपोर्ट उन्हीं आपत्तियों के आधार पर तैयार की गई है। उपभोक्ता संगठन ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है।
सीबीआई जांच की मांग
परिषद ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सरकार निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। ऐसे अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए, जिन्होंने निजी घरानों के हित में प्रस्ताव तैयार किया है। इस मामले की सीबीआई जांच कराए जाने पर सरकारी संपत्ति के बंदरबांट का खुलासा हो जाएगा।
उद्योगपतियों को लाभ पहुंचने की साजिश
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने एक बार फिर दोहराया कि बिजली कंपनियों के निजीकरण का मसौदा आसंवैधानिक है। उसमें सामने आईं वित्तीय अनियमितताओं से साफ है कि बड़े पैमाने पर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचने की साजिश की गई। नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के हित में सही फैसला किया है।
रिपोर्ट गुप्त रखने ने निर्देश
वर्मा ने कहा कि रिपोर्ट में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत सरकार से आयोग को दिए गए निर्देशों से लेकर निजी घरानों को लाभ पहुंचाने, वितरण हानियां पांच साल में तीन प्रतिशत से कम करने का जिक्र है। इसके अलावा आरडीएसएस खर्च को लोन में बदलने, बिजली कंपनियों की सम्पत्ति और हिस्सेदारी को कम आंकने, बकाया वसूली और उपभोक्ता सरप्लस समेत कई मामलों पर नियामक आयोग ने अंतरिम रिपोर्ट सरकार को भेजी है। इससे ऊर्जा विभाग में हड़कंप मच गया है। पावर कारपोरेशन ने अधिकारियों को रिपोर्ट गुप्त रखने के निर्देश दिए हैं।
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