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नियामक आयोग की सुनवाई में उठेगा निजीकरण का मुद्दा Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति वाराणसी में 11 जुलाई को बिजली दरों में वृद्धि के प्रस्ताव पर नियामक आयोग के समक्ष होने वाली सुनवाई में निजीकरण का मुद्दा उठाएगी। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पावर कारपोरेशन ने दरों 45 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव आयोग में भेजकर निजीकरण के बाद बिजली महंगी होने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 6327 करोड़ रुपये सब्सिडी उपभोक्ताओं को दी जा रही है। जिसे पावर कारपोरेशन कैश गैप में जोड़कर घाटा दिखा रहा है। इससे साफ है कि निजीकरण के बाद किसानों, बुनकरों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त करने की तैयारी है।
सरकार विभागों पर 4128 करोड़ रुपये बकाया
पदाधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 5321 करोड़ रुपये टैरिफ की सब्सिडी है। निजी नलकूपों के लिए 376 करोड़ और बुनकरों के लिए 630 करोड़ रुपये की सब्सिडी है। इस तरह कुल 6327 करोड़ रुपये की सब्सिडी उपभोक्ताओं को दी जा रही है। उन्होंने बताया कि इसी डिस्कॉम में वर्ष 2024-25 में उपभोक्ताओं से 13297 करोड़ रुपये राजस्व वसूल किया गया। जबकि सरकारी विभागों पर 4182 करोड़ रुपये का राजस्व बकाया है। बकाया देना सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में सरकारी विभागों का राजस्व जोड़ लिया जाये तो वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का कुल राजस्व 17479 करोड़ रुपये हो जाता है। 17479 करोड़ में 6327 करोड़ सब्सिडी जोड़ देने के बाद कुल आय 23806 करोड़ रुपये हो जाती है।
पीवीवीएनएल को 3242 करोड़ का मुनाफा
समिति के अनुसार, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का वर्ष 2024-25 का कुल खर्चा 20564 करोड़ रुपये है। इस तरह वर्ष 2024-25 में निगम को 3242 करोड़ रुपये का मुनाफा हो रहा है। जबकि झूठे आंकड़े दिखाकर घाटे के नाम पर निजीकरण किया जा रहा है। समिति 11 जुलाई को आयोग के सामने तथ्य रखकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग करेगी।
बिजली कर्मियों का वेतन रोका
समित के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के लिए झूठे आकडों के साथ भय का माहोल भी बनाया जा रहा है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में हजारों बिजली कर्मियों का वेतन रोकने के साथ दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया जा रह है। परामर्श के नाम पर चेतावनी के पत्र भेजे जा रहे हैं। निजीकरण के खिलाफ जारी आंदोलन को कमजोर करने के लिए समिति के पदाधिकारियों को फर्जी मामलों में फंसाया जा रही है। तीन पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है। तीन अन्य पदाधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी है। उन्होंंने कहा कि कर्मचारी इन हथकंडों से डरने वाले नहीं हैं। निजीकरण के विरोध में संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार अपना फैसला वापस नहीं ले लेती।
225वें दिन जारी रहा विरोध प्रदर्शन
शैलेन्द्र दुने ने बताया कि आज लगातार 225वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रान्तव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखा। निजीकरण के खिलाफ वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई।
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