लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली निजीकरण को लेकर पावर कारपोरेशन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विद्युत नियामक आयोग की ओर से निजीकरण की प्रकिया उठाए गए सवालों में पावर कारपोरेशन फंस गया है। आयोग ने पूछा है कि पांच नई बिजली कंपनियों को औद्योगिक सूमह खरीदने को तैयार नहीं हुए पुराने डिस्कॉम का क्या होगा। खासकर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के बदं होने पर फ्रेंचाइजी टोरेंट पावर का क्या भविष्य होगा। इन सवालों ने पावर कारपोरेशन को मुश्किल में डाल दिया है। अब उसे इनका जवाब देना होगा।
यूपीपीसीएल की एनर्जी टास्क फोर्स से सांठगांठ
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन ने एनर्जी टास्क फोर्स के साथ मिलीभगत करके यह प्रस्ताव पास करा लिया कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्वुत वितरण निगम को तोड़कर पांच नई बिजली कंपनियां बनाई जाएंगी। निजीकरण के तहत इनका टेंडर निकाला जाएगा। नई बिजली कंपनियों के गठन के बाद ही दोनों डिस्कॉम का वजूद खत्म हो जाएगा। ऐसे में लगभग 1 करोड़ 72 लाख उपभोक्ता पांचो बिजली कंपनियों मे बंट जाएंगे।
सबकुछ पहल से फिक्स
अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन ने कैसे मान लिया कि सभी पांच नई बिजली कंपनियों को औद्योगिक समूह खरीद लेंगे। इससे साफ है कि सबकुछ पहले से फिक्स है। उन्होंने सवाल उठाया कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम के बंद होने के बाद अगर किसी बिजली कंपनी को कोई खरीददार नहीं मिला तो उसका क्या होगा। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन ने हाइवे प्रोजेक्ट्स का अनुभव रखनी वाली कंपनी को निजीरण के लिए सलाहकार नियुक्ति किया है। ऐसे में वह इसी तरह के प्रस्ताव तैयार करेगी।
निजीकरण के लिए टेंडर की तैयारी
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि पावर कारपोरेशन को वापस भेजे गए निजीकरण के मसौदे पर उसका जवाब आने के बाद ही आयोग अंतिम रिपोर्ट पर विचार करेगा। वहीं, पावर कारपोरेशन गुपचुप तरीके से जुलाई के पहले हफ्ते में टेंडर जारी करने की तैयारी कर रहा है। ऐसा फिलहाल संभव नहीं है।
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