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निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने निकाली तिरंगा रैली : बोले- सार्वजनिक क्षेत्र में ही रखा जाए पावर सेक्टर

बिजली कर्मचारियों ने बृहस्पतिवार को प्रदेश भर में तिरंगा रैली निकली। लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल जीपीओ पार्क स्थित काकोरी क्रांति स्मारक पहुंचे कार्मिकों ने सरकार से निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की।

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Deepak Yadav
tiranga rally against electricity priviatsation

निजीकरण के विरोध में तिरंगा रैली निकालते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने बृहस्पतिवार को प्रदेश भर में तिरंगा रैली निकली। लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल पर एकत्र हुए कार्मिक जीपीओ पार्क स्थित काकोरी क्रांति स्मारक पहुंचे और सरकार से निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की। कर्मचारियों ने कहा कि यूपी विजन-2047 की सफलता के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में पावर सेक्टर बनाये रखना जरूरी है।

निजीकरण का निर्णय किया जाए निरस्त

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर एकजुट हुए कर्मचारियों ने कहा कि यूपी विधानसभा में रखे गये विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश विजन-2047 में बिजली व्यवस्था में लगातार हो रहे सुधार की चर्चा की गयी। ऐसे में जब सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है, तो पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। 

निजीकरण से सरकार पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के सरकार को सस्ती दर पर प्राइवेट कम्पनियों को बिजली मुहैया करानी पड़ेगी और वित्तीय मदद भी करनी होगी। यह सब भार सरकार उठाएगी। ऐसे में निजीकरण से बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ताओं का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि निजीकरण के पीछे मुख्य कारण घाटा बताया जा रहा है, जो पूरी तरह गलत है। पावर कारपोरेशन किसानों, बुनकरों को मिलने वाली सब्सिडी और राजस्व बकाये को घाटे में जोड़कर दिखा रहा है।

सीमित संसाधनों में भी निर्बाध बिजली आपूर्ति

शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि कर्मिक सीमित संसाधनों के बावजूद प्रदेश के 3 करोड़ 63 लाख उपभोक्ताओं तक निर्बाध बिजली आपूर्ति कर रहे हैं। विगत आठ वर्षों में एटी एण्ड सी हानियां 42 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत पर आ गयी हैं। लाइन हानियों में चालू वित्तीय वर्ष में और कमी आने की सम्भावना है। ऐसे में राष्ट्रीय मानक के अनुसार निजीकरण करने का कोई औचित्य नहीं है। 

इस जिलों में निकली तिरंगा रैली

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निजीकरण के खिलाफ  वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में तिरंगा रैली निकाली गयी।

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