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निजीकरण के बाद भी निजी घरानों की झोली भरेगी सरकार, उपभोक्ताओं की जेब होगी ढीली

समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्युत वितरण निगमों के घाटे का सबसे बड़ा कारण बहुत महंगी दरों पर निजी विद्युत उत्पादन घरों से बिजली खरीद के करार है।

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Deepak Yadav
Electricity Privatisation

निजीकरण के बाद भी निजी घरनों की झोली भरेगी सरकार Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के बाद भी प्रदेश सरकार निजी घरानों की आर्थिक मदद करेगी। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। केन्द्रीय स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के तहत निजी कंपनियों को सरकार की ओर से तब तक वित्तीय सहायता दी जाएगी, जब तक वह मुनाफे में नहीं आ जातीं। वहीं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इस प्रकिया पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर निजीकरण का फैसला निरस्त करने की मांग की है।

सात साल तक निजी घरानों को वित्तीय सहायता

संगठ के पदाधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि बिजली मंत्रालय के वर्ष 2020 में जारी ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 2.2 (बी) के तहत जिस विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जाएगा, वहां औसत बिजली बेचने और राजस्व वसूली में ज्यादा अंतर होने पर निजीकरण के बाद सरकार उस कंपनी को सब्सिडी पर बिजली देगी। यह सुविधा कंपनी के मुनाफे में पहुंचने पर तक दी जाती रहेगी। बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 1.1 (एफ) के अनुसार, सरकार पांच से सात वर्ष तक या और अधिक समय तक निजी घरानों को वित्तीय सहायता दे सकती है। 

महंगी बिजली खरीद से बढ़ रहा घाटा

संगठन के मुताबिक, सूबे के सरकारी विद्युत वितरण निगमों के घाटे का सबसे बड़ा कारण निजी विद्युत उत्पादन घरों से महंगी दरों पर बिजली खरीद के करार हैं। इसके अलावा बिना बिजली खरीदे प्रति वर्ष 6761 करोड़ रुपये फिक्स चार्ज भी निजी कंपनियों को देना पड़ रहा है।बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 1.1 (ई) के तहत निजी कंपनियों को क्लीन बैलेंस शीट दी जाएगी और घाटे तथा देनदारियों का सारा उत्तरदायित्व भी सरकार का होगा। ऐसे में सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि सब्सिडी बल्क सप्लाई का प्रतिवर्ष कितना खर्चा आएगा और कब तक जारी रहेगा। 

एक रुपये प्रतिवर्ष की लीज दी जाएगी जमीन

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बिडिंग डॉक्यूमेंट के तहत प्रदेश में 42 जनपदों की सारी जमीन मात्र एक रुपये प्रतिवर्ष की लीज पर दी जाएगी। वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, प्रयागराज, कानपुर और अन्य स्थानों पर जिनका निजीकरण किया जा रहा है, यहां भी एक रुपये की लीज पर दिए दिया जाना कौन सा रिफॉर्म है? 

बिजली कंपनियों का प्रदर्शन जारी

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उन्होंने कहा कि यदि यही सब करना है तो सरकारी क्षेत्र के विद्युत वितरण निगमों को लगातार सुधार के बाद कौड़ियों के मोल बेचने की जरूरत क्या है? दुबे ने बताया कि बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 272 दिन पूरे हो जाने पर आज भी समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

Electricity Privatisation | VKSSUP

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