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फाइल फोटो।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।उत्तर प्रदेश में नीट (NEET) दाखिलों को लेकर लगातार नए-नए फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। ताज़ा मामला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर एमबीबीएस में दाखिला लेने का है। इस खुलासे के बाद तीन साल पहले आयुष कॉलेजों में फर्जी दाखिलों की गड़बड़ी फिर से चर्चा में आ गई है।
सीबीआई ने भी इस केस को हाथ नहीं लगाया
सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार ने बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस दाखिलों की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया था, लेकिन एमबीबीएस दाखिलों पर रहस्यमयी चुप्पी साध ली। इसी वजह से सीबीआई ने भी इस केस को हाथ नहीं लगाया। फिलहाल आयुष कॉलेजों की फर्जी एडमिशन जांच एसटीएफ कर रही है और अंतिम आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी है।
कई कॉलेज संचालकों की संलिप्तता के ठोस सबूत मिले थे
पिछली जांचों में तत्कालीन मंत्री, प्रमुख सचिव और कई कॉलेज संचालकों की संलिप्तता के ठोस सबूत मिले थे। कई संचालक गिरफ्तार भी हुए थे। अब ताज़ा मामले में यह आशंका गहराती जा रही है कि एमबीबीएस समेत अन्य कोर्सों में भी बड़े पैमाने पर फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए दाखिले हुए हैं।
अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई
मेरठ के एक निजी मेडिकल कॉलेज में भी अल्पसंख्यक का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर दाखिले का मामला सामने आया था, जिसकी जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। लेकिन अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जांच एजेंसियों की धीमी कार्रवाई और सरकार की चुप्पी से मेडिकल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।