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पटाख फैक्ट्री में विस्फोट के बाद जांच करतीं पुलिस।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।लखनऊ के गुडंबा इलाके के बेहटा और सेमरा गांव में रविवार को हुए धमाकों ने पुलिस-प्रशासन की नींद उड़ा दी है। जिन घरों में अवैध पटाखा फैक्ट्री और गोदाम चल रहे थे, वहां विस्फोट से दो लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए। चौंकाने वाली बात यह है कि हादसा माल थाने से चंद दूरी पर हुआ, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।
बम निरोधक दस्ते की संयुक्त टीम गांवों में उतरी
सोमवार को जैसे ही मामला तूल पकड़ने लगा, पुलिस-प्रशासन, अग्निशमन विभाग और बम निरोधक दस्ते की संयुक्त टीम गांवों में उतरी और छापेमारी शुरू कर दी। कई घरों से भारी मात्रा में पटाखे, बारूद और निर्माण सामग्री बरामद हुई। बम निरोधक दस्ते ने बरामद बारूद को निष्क्रिय किया। बताया जा रहा है कि यह अवैध कारोबार वर्षों से चल रहा था और स्थानीय पुलिस की जानकारी में भी था।
हादसे में मारे गए आलम को गांववाले चूड़ी बेचने वाला समझते थे
सूत्रों के मुताबिक फैक्ट्री अली अहमद, शेरू और नसीम के नाम पर चलाई जा रही थी। हादसे में मारे गए आलम को गांववाले चूड़ी बेचने वाला समझते थे, लेकिन उसके घर को भी पटाखों का भंडारण और निर्माण केंद्र बनाया गया था। अब आलम, उसके भतीजे शेरू, शोएब, अली अहमद और टीनू के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इनमें गैर इरादतन हत्या और विस्फोटक अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं। हालांकि नामजद आरोपी फरार हैं।
बेहटा चौकी इंचार्ज और बीट सिपाही को निलंबित
हादसे के बाद पुलिस पर सवाल और गहरे हो गए। यही वजह है कि डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने तुरंत बेहटा चौकी इंचार्ज और बीट सिपाही को निलंबित कर दिया है। साथ ही एडीसीपी पूर्वी पंकज सिंह की अगुवाई में जांच कमेटी बनाई गई है, जो यह देखेगी कि आखिर पुलिस को अवैध पटाखा कारोबार की भनक क्यों नहीं लगी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों के शरीर पर गहरी जलन और चोटें पाई गईं
इस घटना में आलम और उसकी पत्नी मुन्नी की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों के शरीर पर गहरी जलन और चोटें पाई गईं। दोनों को सोमवार शाम कब्रिस्तान में दफनाया गया। वहीं, आलम का बेटा इरशाद और पड़ोसी नदीम गंभीर रूप से झुलस गए हैं और ट्रॉमा सेंटर में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।गांववालों का कहना है कि अवैध पटाखा कारोबार की जानकारी लंबे समय से पुलिस को थी, लेकिन मिलीभगत और लापरवाही के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई। हादसे के बाद की गई छापेमारी को लोग सिर्फ दिखावा बता रहे हैं।
गुडंबा के बेहटा और सेमरा गांव में धमाकों से दहशत
बेहटा और सेमरा गांव में हुए दो धमाकों ने पूरे इलाके को दहला दिया। सोमवार को भी गांव में मातम और खौफ का माहौल बना रहा। हालात इतने खराब थे कि जैसे ही बिजली चमकती या बादल गरजते, लोग सहमकर घरों से बाहर निकल जाते और खाली मैदानों में पनाह लेने लगते।गांव की सरोज ने बताया कि रविवार शाम वह नवजात पोते को गोद में लेकर खिला रही थीं, तभी अचानक जोरदार धमाके होने लगे। घबराहट में पोता गोद से गिरते-गिरते बचा और परिवार को भागकर घर से बाहर निकलना पड़ा। वहीं, सुशीला नाम की महिला ने बताया कि धमाके की आवाज से उनकी जेठानी बेहोश हो गई थीं, जिन्हें आनन-फानन डॉक्टर के पास ले जाना पड़ा।
धमाकों ने ग्रामीणों को मानसिक रूप से हिला दिया
धमाकों ने ग्रामीणों को मानसिक रूप से हिला दिया है। सब्जी विक्रेता रंजीत ने कहा कि धमाके से ठीक पहले वह आलम के घर के बाहर बैठे थे। जैसे ही घर पहुंचे, जोरदार विस्फोट हुआ और धुएं का गुबार निकलता देखा। रात भर आंखें मूंदते ही वही भयावह मंजर सामने आने लगता। राजेश्वरी नाम की महिला ने बताया कि धमाका इतना तेज था कि पहले तो लगा जैसे कोई हवाई जहाज गिरा हो। जब तक सच्चाई का पता चला, लोग अपने घर छोड़कर भाग चुके थे।सेमरा गांव के मोहम्मद शारिक ने बताया कि शाम को बकरियों को चारा खिला रहे थे, तभी पटाखों के गोदाम में विस्फोट हुआ और वह कुछ दूरी पर जा गिरे। वह तो बच गए, लेकिन उनकी बकरी की मौत हो गई। इसी गांव के राहुल ने कहा कि वह बेटे के साथ छत पर खड़े थे, तभी तेज धमाके के साथ धुआं और आग की लपटें उठीं। धमाके की गूंज अभी तक कानों में है।
लोग पूरी रात जागकर और खुले मैदान में रहकर गुजारने को मजबूर
ग्रामीण युगराज ने कहा कि दो गांवों में धमाकों के बाद पूरे इलाके में खौफ का माहौल है। लोग पूरी रात जागकर और खुले मैदान में रहकर गुजारने को मजबूर हुए।इसी बीच, बाराबंकी के अमरसंडा निवासी महबूब का दर्द भी सामने आया। उन्होंने रोते हुए बताया कि पाई-पाई जोड़कर बेहटा में घर बनाया था, जिसे किराए पर दिया था। धमाके में पूरा घर बर्बाद हो गया और अब छत के ऊपर रखा टीन शेड भी ढह चुका है। किरायेदार अजीज ने बताया कि राशन, गृहस्थी और मकान सबकुछ मलबे में दब गया। बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए और रात तिरपाल डालकर गुजारने पड़ी। धमाकों के बाद से ग्रामीणों में यह सवाल गूंज रहा है कि आखिर कब तक ऐसे अवैध पटाखा कारोबार जान-माल के लिए खतरा बने रहेंगे और पुलिस-प्रशासन कब जागेगा।