लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। एनएच-74 भूमि अधिग्रहण घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई अब नए मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। मामले में चर्चित उत्तराखंड के पीसीएस अफसर डीपी सिंह के बरेली, सीतापुर आवास और उनसे जुड़े लोगों पर ईडी की छापेमारी के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या ऊधमसिंह नगर के पूर्व जिलाधिकारियों (आईएएस अधिकारियों) पर भी कार्रवाई की तलवार लटकेगी? लोगों का कहना है कि डीपी सिंह तो केवल मोहरा हैं, मलाई जिलाधिकारियों ने खाई है।
सूत्रों के अनुसार डीपी सिंह वर्ष 2007 के आसपास हल्द्वानी में नायब तहसीलदार के रूप में नियुक्त हुए थे। इसके बाद वह रामनगर, काशीपुर, सितारगंज और गदरपुर जैसी प्रमुख तहसीलों में तहसीलदार और एसडीएम के पदों पर रहे। संयोग से ये सभी क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग-74 (एनएच-74) के अंतर्गत आते हैं। आरोप है कि भूमि अधिग्रहण में अनियमितताओं और किसानों को दिए जाने वाले मुआवज़े में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ।
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डीपी सिंह को इन क्षेत्रों की खसरा-खतौनी और स्थानीय किसानों की स्थिति की गहरी जानकारी थी, जिसे कथित रूप से वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने हित में इस्तेमाल किया। अब जब ईडी इस मामले की परत-दर-परत जांच कर रही है, तो ये सवाल उठ रहा है कि क्या ऊधमसिंह नगर के वे जिलाधिकारी, जो उस समय कार्यरत थे, जांच के दायरे में आएंगे?
जानकारों का मानना है कि जिस स्तर की हेराफेरी सामने आ रही है, उसमें अकेले एक तहसीलदार या एसडीएम स्तर का अधिकारी इतना बड़ा घोटाला नहीं कर सकता, जब तक कि उसे उच्च स्तर से संरक्षण प्राप्त न हो।
ईडी सूत्रों के अनुसार, डीपी सिंह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच जारी है और उन्हें जल्द पूछताछ के लिए तलब भी किया जा सकता है। वहीं, डीपी सिंह के परिजनों और नजदीकी संपर्कों की संपत्तियों की भी जांच हो रही है।
क्या कहता है कानून
यदि जांच में यह प्रमाणित होता है कि आईएएस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध रही है या उन्होंने जानबूझकर भ्रष्टाचार की अनदेखी की, तो ईडी उनके खिलाफ भी छापा मार सकती है, संपत्तियां अटैच कर सकती है और पूछताछ भी कर सकती है।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल
इस घटनाक्रम से उत्तराखंड के प्रशासनिक महकमे में हलचल मच गई है। एक ओर जहां डीपी सिंह जैसे पीसीएस अफसर सवालों के घेरे में हैं, वहीं अब आईएएस अधिकारियों की भूमिका पर भी उंगलियां उठ रही हैं।
उत्तराखंड के बहुचर्चित एनएच-74 भूमि अधिग्रहण घोटाले में फंसे पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने बरेली, सीतापुर और अन्य स्थानों पर एक साथ छापेमारी कर कई दस्तावेज जब्त किए। सीतापुर में सीतापुर में डीपी सिंह के भाई नरेंद्र सिंह और रिश्तेदार राजेश सिंह के घरों पर अलग-अलग टीमें पहुंचीं। टीमों ने जमीन और शेयर निवेश से जुड़े दस्तावेजों की गहन जांच की। राजेश सिंह के घर से कुछ दस्तावेज लेकर टीम रवाना हो गई, जबकि नरेंद्र सिंह के घर पर देर शाम तक कार्रवाई जारी रही।
परिजनों के नाम पर संपत्ति खरीद की आशंका
सूत्रों के मुताबिक, डीपी सिंह ने डोईवाला शुगर मिल में कार्यकारी निदेशक रहते हुए अपने गांव के आसपास रिश्तेदारों और परिजनों के नाम पर जमीन की खरीदारी की। उनके संबंधियों के नाम कई पेट्रोल पंप भी पंजीकृत हैं।
इस तरह हुआ घोटाला
एनएच-74 घोटाला वर्ष 2011-16 के बीच का है, जिसमें किसानों से कम दर पर जमीन खरीद कर सरकार को ऊंचे मुआवज़े पर दिखाकर करोड़ों की हेराफेरी की गई। ईडी की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में कई और खुलासे संभव हैं।
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