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ठगी करने वाले गैंग के 4 सदस्य जनपद लखनऊ से गिरफ्तार
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के बरेली के रिटायर्ड वैज्ञानिक से फ्रॉड करने वाले चार बदमाशों को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने रिटायर्ड वैज्ञानिक को तीन दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा था। उनसे 1.29 करोड़ की ठगी की थी। चारों को लखनऊ से पकड़ा गया है। बरेली के साइबर क्राइम थाने की पुलिस और लखनऊ एसटीएफ ने मिलकर कार्रवाई को अंजाम दिया है। लखनऊ एसटीएफ ने आरोपियों को पकड़ने के बाद बरेली पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने इनके कब्जे से छह मोबाइल फोन, छह एटीएफ कार्ड तथा चार चेकबुक बरामद किया है।
अभियुक्त भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से रिटायर्ड
आरोपियों को बरेली लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। एसपी क्राइम मनीष चंद्र सोनकर ने बताया कि शुकदेव नंदी इज्जतनगर के आईवीआरआई कैंपस में रहते हैं। वह भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से रिटायर्ड हैं। 17 जून को उनके व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आई। वीडियो कॉल करने वाले ने कहा कि मैं बेंगलुरु से सीबीआई आॅफिसर बोल रहा हूं। आपके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके फर्जी सिम कार्ड निकाले गए हैं, जिनका इस्तेमाल ह्यूमन ट्रैफिकिंग और जॉब फ्रॉड में किया गया है।
मोबाइल स्क्रीन पर पुलिस का लोगों दिखाकर डराया
फोन करने वाले शख्स ने शुकदेव नंदी से कहा कि एक नंबर आपको सीबीआई अधिकारी का दे रहा हूं, इन्हें कॉल करिए। उसने भी वही कहानी बताई जो पहले उन्हें बताई गई थी। इसके बाद उनके अकाउंट से आरटीजीएस के जरिए 18 जून को 1.10 करोड़ रुपए ट्रांसफर करवा लिए गए। जाल में फंसाने के लिए मोबाइल स्क्रीन पर पुलिस का लोगों भी दिखाया। साइबर ठगों ने रिटायर्ड वैज्ञानिक से जिस तरह से बात की, उससे उन्हें यकीन हो गया था कि कॉल करने वाला असली पुलिस आॅफिसर है। इसके बाद उनके दूसरे खातों की जानकारी मांगी तो उन्होंने ग्रामीण बैंक का खाता नंबर भी बता दिया। इसके बाद ठगों ने उन्हें 1 लाख रुपए लौटा दिए, जिससे उन्होंने वैज्ञानिक का भरोसा जीत लिया। 19 जून को एक बार फिर से ठगों ने उनके खाते से 10 लाख और 20 जून को 9 लाख रुपए निकलवा लिए।
26 जून को को साइबर थाने मेें दर्ज कराई थी शिकायत
वहीं जब साइबर ठगों ने उनसे और रुपए की डिमांड की तो उन्होंने बैंक में पर्सनल लोन के लिए अप्लाई किया। लेकिन बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने वह दोनों नंबर गूगल पर चेक किए और बेंगलुरु पुलिस से फोन करके जानकारी ली, तो उन्हें पता चला कि उनके साथ फ्रॉड हुआ है। एसपी क्राइम ने बताया कि शुकदेव नंदी की ओर से इस मामले की शिकायत 26 जून को साइबर थाने में की थी। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच पड़ताल शुरू की। जांच करने पर पता चला कि लखनऊ के कुछ अकाउंट में पैसा भेजकर निकाला गया है।
एसटीएफ को मामले की सूचना देकर मदद मांगी
जिसके बाद लखनऊ की एसटीएफ को मामले की सूचना देकर मदद मांगी गई। लखनऊ एसटीएफ और बरेली पुलिस ने जिन बैंक के एकाउंट से पैसे निकाले गए थे उनकी सीसीटीवी चेक की। उसमें चार युवक पैसे निकालते दिखे। शक के आधार पर उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने ठगी की बात कबूल कर ली। उनकी पहचान लखनऊ एक दुबग्गा के रहने वाले सुधीर कुमार चौरसिया(26), खदरा के रहने वाले श्याम कुमार वर्मा (27), गोमती नगर एक्सटेंशन के रहने वाले महेन्द्र प्रताप सिंह और गोंडा के रहने वाले रजनीश द्विवेदी(25) के रूप में हुई है।
रकम को क्रिप्टो करेंसी में बदलकर भेज देते थे वॉलेट में
एसपी क्राइम के अनुसार सुधीर ने बी.कॉम, रजनीश द्विवेदी और श्याम कुमार वर्मा ने ने बी.ए, महेन्द्र प्रताप सिंह ने बी.एससी की पढ़ाई की है। इनके पास से वारदात में इस्तेमाल किए गए मोबाइल बरामद हुए हैं। जिनके जरिए ये मेन हैंडलर से बात करते हैं। इनका बहुत बड़ा गैंग है। ये लोग कई राज्यों में फैले हुए हैं। इनके मुख्य हैंडलर मिडिल ईस्ट और साउथ ईस्ट एशिया में बैठे हैं।वहीं से कॉल कराकर भारतीयों और पाकिस्तानी लोगों को पुलिस या एजेंसी का अधिकारी बताकर डराते हैं फिर ठगी करते हैं। गिरफ्तार किए गए युवकों ने बताया कि वह विभिन्न खाता धारकों की सहमति से कमीशन पर उनका खाता लेकर, उनके माध्यम से ठगी की गई रकम को कई अकाउंट में ट्रांसफर कराते हैं। अंत में रकम को क्रिप्टो करेंसी में बदलकर वॉलेट में भेज देते हैं।
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