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Crime News:सीबीआई अफसर बनकर वैज्ञानिक से 1.29 करोड़ की ठगी करने वाला गिरोह बेनकाब, दो आरोपी लखनऊ से गिरफ्तार

सीबीआई अधिकारी बनकर वैज्ञानिक को डिजिटल अरेस्ट करने वाले साइबर ठगों के गिरोह का पर्दाफाश, एसटीएफ ने लखनऊ से दो आरोपियों को किया गिरफ्तार। 1.29 करोड़ रुपये की ठगी में इस्तेमाल खाता और क्रिप्टो ट्रांजैक्शन का भी खुलासा।

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Shishir Patel
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साइबर ठगी करने वाले दो गिरफ्तार।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता । एसटीएफ यूपी उत्तर प्रदेश को सेवानिवृत्त वैज्ञानिक को सीबीआई आफिसर बनकर डिजिटल अरेस्ट करके लगभग 1.29 करोड़ रूपये की ठगी करने वाले गैंग के दो सदस्यों को लखनऊ से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त हुई। गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम प्रदीप कुमार सिंह पुत्र स्व. जसवंत सिंह, उम्र 50 वर्ष, निवासी 146, सेक्टर 6सी, गोपेश कुंज के पास, वृन्दावन योजना, थाना पीजीआई तथा मूल निवासी ग्राम खेमासराय, पोस्ट व थाना बीकापुर जनपद अयोध्या, महफूज पुत्र स्व. बकरीदी, उम्र 21 वर्ष, निवासी 154, नबीउल्लाह रोड, न्यू बस्ती, रिवर बैंक कालोनी, थाना वजीरगंज लखनऊ है। इनके कब्जे से दो मोबाइल फोन, दो पैन व आधार कार्ड, तीन क्रिप्टो वैलेट से संबंधित दस्तावेज बरामद किया है। 

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पांच जुलाई को इस गैंग को चार सदस्यों को भेजा था जेल 

उल्लेखनीय है कि बरेली निवासी भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान से सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नन्दी को वाट्सएप कॉल के द्वारा डराकर धमकाकर करीब तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके अलग-अलग खातों में लगभग 1.29 करोड़ रूपये ट्रान्सफर करा लिया गया। जिसके संबंध में शुकदेव नन्दी द्वारा 26 जुलाई को थाना साइबर क्राइम, जनपद बरेली में मुकदमा दर्ज कराया गया। उक्त अभियोग की विवेचना साइबर थाना बरेली द्वारा की जा रही थी। एसटीएफ द्वारा पांच जुलाई को इस गैंग से सम्बंधित 4 सदस्यों को गिरफ्तार कर उपरोक्त पंजीकृत अभियोग में दाखिल किया गया था, जिसमें प्रदीप कुमार सिंह आदि वांछित चल रहे थे, जिनकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे थे। जिसे आज लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया। 

गिरफ्तार अभियुक्त अपने आपको बताया एक कंपनी का डायरेक्टर 

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गिरफ्तार प्रदीप कुमार सिंह ने पूछताछ में बताया कि मैं नारायणी इन्फ्रा डेवलपर प्रा० लि० कम्पनी का डायरेक्टर हूँ। मैंने अपनी कम्पनी का आईसीआईसीआई बैंक में कार्पोरेट बैंक खाता सं० 125905001922 खोला है। इसका लेन-देन मेरे द्वारा किया जाता था। इस खाते का उपयोग डिजीटल अरेस्ट की धनराशि मंगाने में किया जाता है, जिसमें धनराशि आने के बाद इसमें पैसा निकाल का गैंग के अन्य सदस्यों को दिया जाता है। इसके लिए मुझे कमीशन मिलता है। जिन लोगों द्वारा पैसा मंगाया जाता है वह मुझे कमीशन बाइनेन्स एप के माध्यम से यूएसडीटी के रूप में भेजते हैं। सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नन्दी से 1.29 करोड़ रूपये की जो ठगी की गयी थी उसका सारा पैसा मेरे ही खाते मंगवा कर आगे भेजा गया था। मुझे इस सम्बन्ध में बाइनेन्स एप पर अबतक 871 यूएसडीटी प्राप्त हो चुके हैं, जो मुझे और प्राप्त होने थे। पांच जुलाई को उसके कुछ साथियों को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसके कारण वह छिप छिपा कर रह रहा था।

अभियुक्तों से बरामद इलेक्ट्रानिक उपकरणों का फारेंसिक परीक्षण कराया जायेगा

इसी क्रम में फ्राड के रूपये अपने एकाउंट में मंगाने वाले गैंग के अन्य सदस्य महफूज पुत्र स्व. बकरीदी निवासी नबीउल्लाह रोड रिवरबैंक कालोनी नयी बस्ती, थाना वजीरगंज लखनऊ को लोहिया मोड तिराहा फैजाबाद रोड से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त हुई। जिसने पूछताछ में बताया कि रूपयों के लालच में आकर उज्जैब निवासी लकड़ी मोहाल सदर कैंट के कहने पर इंडियन बैंक के खाता खुलवाया था बदले में कमीशन देने की बात पर एटीएम व सिम उसको दे दिया था। मेरे खाते में फ्राड के अबतक लगभग 9 लाख रूपये आये हैं।अभियुक्तों द्वारा बताये गये बैंक खाते, एवं बाइनेंस पर बनाये गये क्रिप्टो वालेट आदि की जानकारी व गिरोह के अन्य सदस्यो की गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं। अभियुक्तों से बरामद इलेक्ट्रानिक उपकरणों का फारेंसिक परीक्षण कराया जायेगा।

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