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प्राथमिक स्कूलों के विलय पर हाईकोर्ट की मुहर
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में चल रहे पांच हजार प्राथमिक स्कूलों के विलय को लेकर सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया। इसके साथ ही स्कूल विलय की प्रक्रिया अब बिना किसी कानूनी अड़चन के आगे बढ़ सकेगी।
51 बच्चों ने दाखिल की थी याचिका
यह फैसला न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सुनाया। याचिकाएं सीतापुर जिले के कुछ प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले 51 बच्चों की ओर से दाखिल की गई थीं। इसमें 16 जून 2024 को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। इस आदेश के तहत प्रदेश के उन प्राथमिक विद्यालयों को, जहां छात्रसंख्या बहुत कम है, पास के उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने की व्यवस्था की गई है।याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि स्कूलों का यह मर्जर 'बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार' (RTE Act) का उल्लंघन करता है। याचियों का कहना था कि इस फैसले से बच्चों को अब दूर के स्कूलों में जाना पड़ेगा, जिससे उनकी सुरक्षा और शिक्षा दोनों पर असर पड़ेगा।
सरकार की सफाई
सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि यह कदम बच्चों के हित में उठाया गया है और इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। सरकार ने बताया कि प्रदेश में ऐसे 18 प्राथमिक स्कूल हैं, जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं है। ऐसे स्कूलों को नजदीकी विद्यालयों में मिलाकर संसाधनों और शिक्षकों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।
शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस
सरकारी वकील ने तर्क दिया कि यह फैसला शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और बुनियादी सुविधाओं को प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए लिया गया है। स्कूलों के पास मिड डे मील, पुस्तकें, यूनिफॉर्म, शौचालय और अन्य सुविधाएं देने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। ऐसे में बच्चों को बेहतर सुविधाओं से युक्त स्कूलों में भेजना जरूरी है। कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे सोमवार को सुनाया गया। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को स्कूलों के पुनर्गठन के लिए कानूनी मंजूरी मिल गई है।
बच्चों की पढ़ाई छीनी गई, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों के विलय को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने कोर्ट के निर्णय पर नाराजगी जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा की हाईकोर्ट का फैसला चौंकाने वाला है। यूपी के बच्चों ने न्यायालय से पढ़ाई बचाने की अपील की थी, लेकिन सरकार ने उनका स्कूल ही छीन लिया। क्या यही है शिक्षा का अधिकार? अब यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जाएगी।
आगे की रणनीति पर होगा विचार
वहीं, मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता उत्सव मिश्रा ने कहा कि अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि इस फैसले से न तो बच्चों के शिक्षा के अधिकार (RTE) का उल्लंघन हुआ है और न ही यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो निर्णय लिया है, वह संसाधनों के समुचित उपयोग और बेहतर शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। कोर्ट ने इस निर्णय को वैध माना है। अधिवक्ता ने बताया कि याचिका खारिज हो गई है और आदेश की पूरी प्रति पढ़ने के बाद याचिकाकर्ताओं से चर्चा कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
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