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श्रावस्ती मॉडल 12 जिलों में लागू करने पर जोर : पार्थ सारथी बोले- परिवार नियोजन तरक्की की नींव

उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन को नई दिशा देने राज्य स्तरीय कार्यशाला में पार्थ सारथी ने समग्र विकास व अंतर्विभागीय समन्वय पर जोर दिया। श्रावस्ती मॉडल को अन्य 12 जिलों में लागू करने की सलाह दी गई।

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Deepak Yadav
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श्रावस्ती मॉडल 12 जिलों में लागू करने पर जोर Photograph: (Social Media)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाताउत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देने के उद्देश्य से शुक्रवार को निजी होटल में राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि परिवार कल्याण का उद्देश्य केवल जनसंख्या नियंत्रण नहीं है, बल्कि एक सशक्त, शिक्षित, और स्वस्थ समाज का निर्माण है। इसके लिए हमें शिक्षा, पोषण, महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य को एकीकृत दृष्टिकोण से देखना होगा। अंतर्विभागीय समन्वय के बिना यह संभव नहीं है। श्रावस्ती जिले में अपनाया गया समग्र विकास मॉडल इसकी मिसाल है, जिसे अन्य 12 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में भी दोहराया जाना चाहिए।

'मैं' और 'आप' नहीं, 'हम से बनेगी बात

महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने भी 'मैं' और 'आप' नहीं, 'हम से बनेगी बात। परिवार नियोजन को महिला व बाल विकास नीतियों के साथ जोड़कर ही हम स्थायी सामुदायिक स्वास्थ्य परिणाम हासिल कर सकते हैं। इसके लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा।

बांझपन और सहायक प्रजनन तकनीकें

विशेषज्ञ सत्र में महानिदेशक डॉ. सुषमा सिंह ने उत्तर प्रदेश के परिवार कल्याण कार्यक्रम की रणनीतिक समीक्षा प्रस्तुत की। केजीएमयू की प्रो. सुजाता देव ने बांझपन और सहायक प्रजनन तकनीकों पर विस्तार से जानकारी दी। गेट्स फाउंडेशन के डॉ. अमित कुमार यादव  ने राज्य में एफपी की उभरती रणनीतियों पर अपनी बात रखी। पैनल चर्चा में जलवायु परिवर्तन के मातृ व शिशु स्वास्थ्य पर प्रभावों और जलवायु-संवेदनशील रणनीतियों पर जोर दिया गया। 

योजनाओं में तेजी लाने पर चर्चा

इस अवसर पर वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्शन डे, 2024 के राज्य-स्तरीय परामर्श की सिफारिशों को आधार बनाते हुए जिला स्तरीय योजनाओं में गति लाने और उच्च सकल प्रजनन दर (टीएफआर), कम आधुनिक गर्भ निरोधक प्रसार दर (एमसीपीआर) व अपूर्ण आवश्यकताओं से जूझते जिलों की विशेष चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। 'परिवार नियोजन केवल संख्या नियंत्रण नहीं, समग्र विकास की बुनियाद है' इस सत्र में डॉ. स्मृति (ममता), डॉ. विकासेंदु अग्रवाल (नेशन प्रोग्राम फॉर क्लाइमेट चेंज एंड चाइल्ड हेल्थ), विजय अग्रवाल (यूनिसेफ), डॉ. आशुतोष अग्रवाल (विश्व स्वास्थ्य संगठन), डॉ.प्रीति आनंद (यूपीटीएसयू), और डॉ. दिनेश (जपाईगो) ने भाग लिया।

अंतर-विभागीय सहयोग पर केंद्रित संवाद

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दूसरी पैनल चर्चा अंतर्विभागीय सहयोग को सुदृढ़ करने पर केंद्रित रही। जिसमें डॉ. अमित कुमार यादव (गेट्स फाउंडेशन), डॉ. उदय प्रताप (संयुक्त निदेशक, एफडब्ल्यू), जे. राम (समाज कल्याण विभाग), डॉ. अनुपमा शांडिल्य (आईसीडीएस), मनोज शुक्ला (पंचायती राज), डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव (एसीएमओ, श्रावस्ती) शामिल रहे। वक्ताओं ने जिला-स्तरीय सफलताओं, समुदाय-केंद्रित प्रयासों और स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण पर अनुभव साझा किए।

श्रम, संवाद और समर्पण से बनेगा रास्ता

श्रावस्ती जिले की रणनीति को नवाचार मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया। जिसमें एफपी सेवाओं का पुनर्स्थापन, सीएचओ की सक्रिय भूमिका, और समुदाय आधारित संचार की रणनीति को सराहा गया। कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन , समाज कल्याण, आईसीडीएस, पंचायती राज, के अधिकारीयों के साथ साथ सहयोगी संस्था यूपीटीएसयू, सीफॉर, पीएसआई, आई- पास, सी3, जपाइगो, जेएसआई, यूएनडीपी, केजीएमयू गूंज के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यशाला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग व यूपी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड (एचआईएमसी) तथा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित की गई।

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