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Bada Mangal 2025 : आखिरी बड़े मंगल पर जगह-जगह भंडारे, मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब

जेठ के आखिरी मंगल पर लखनऊ में भक्ति और सेवा का अद्भुत नजारा दिखा, जहां सैकड़ों भंडारों में श्रद्धालुओं और राहगीरों को प्रसाद बांटा गया और शहर भक्तिमय गीतों से गूंज उठा।

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Deepak Yadav
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अंतिम बड़े मंगल पर जगह-जगह भंडारे Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी में ज्येष्ठ मास के अंतिम मंगलवार को भक्ति और सेवा का संगम देखने को मिला। शहर में अलग-अलग जगहों पर सैकड़ों भंडारे लगा गए। यहां श्रद्धालुओं और राहगीरों को पूड़ी, सब्जी, छोला चावल बूंदी, पना, फ्रूटी, फल व शीतल जल बांटा गया। चहुंओर हे महावीर करो कल्याण...जैसे भक्ति गीतों की गूंज सुनाई देती रही। जगह-जगह लगे भंडारों की रौनक देखते ही बनी। देर शाम तक भंडारों में प्रसाद वितरित होता रहा। 

भक्ति और सेवा का अद्भुद संगम

ज्येष्ठ माह का अंतिम बड़ा मंगल आज शहर भर में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। भीषण गर्मी के बावजूद, कैसबाग, शक्ति भवन, सदर, हजरतगंज और मुख्यमंत्री आवास के पास सहित अन्य प्रमुख स्थानों पर आयोजित भंडारों में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भक्तों ने मंदिरों में बैठकर हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ किया। जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। मंदिरों में भी सुबह से ही प्रसाद चढ़ाने के लिए भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। दिन भर बजरंगबली के जयकारों से मंदिर गूंजते रहे।  शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक जगह-जगह लगे भंडारों में भक्ति और सेवा का अद्भुद संगम देखने को मिला। 

राम-लक्ष्मण से ब्राह्मण रूप में मिले थे हनुमान

पौराणिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ मास के मंगलवार को ही भगवान राम और हनुमान की पहली भेंट हुई थी। जब भगवान राम अपनी पत्नी सीता की खोज में वन-वन भटक रहे थे। तब हनुमान जी ब्राह्मण का वेश धारण किए हुए राम और लक्ष्मण से मिले थे। इसी दिन से भगवान राम और हनुमान जी के बीच एक अटूट संबंध की शुरुआत हुई, जो भक्ति और सेवा का प्रतीक बन गया। यही कारण है कि ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को बड़ा मंगल के रूप में विशेष श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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