लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।
अवैध निर्माण और कॉलोनियों के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कई जिलों में अवैध प्लाटिंग और निर्माणों को ढहाया और सील किया। चिनहट, गुडंबा, बीकेटी, काकोरी और पीजीआई क्षेत्रों में प्रवर्तन टीमों ने बिल्डरों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। कार्रवाई के दौरान कई स्थानों पर विरोध और धमकी की घटनाएं भी सामने आईं।
होटल फोर सीजन फिर सील, प्रबंधन ने तोड़ी थी पहले की सील
चिनहट के सेमरा में अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होटल फोर सीजन पर पहले भी एलडीए ने कार्रवाई की थी। होटल को अवैध निर्माण के चलते सील किया गया था। बावजूद इसके होटल प्रबंधन ने दोबारा संचालन शुरू कर दिया। प्रवर्तन जोन-एक के ज़ोनल अधिकारी देवांश त्रिवेदी ने बताया कि निरीक्षण में अनियमितता मिलने के बाद होटल को दोबारा सील किया गया। इस दौरान टीम को विरोध और धमकियों का सामना करना पड़ा।
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गोकुलधाम बिल्डकान पर कार्रवाई, 25 हजार वर्गमीटर में अवैध निर्माण सील
चिनहट के लौलाई क्षेत्र में किसान पथ के निकट मोहम्मद इरफान और गोकुलधाम बिल्डकान प्राइवेट लिमिटेड द्वारा करीब 25,000 वर्गमीटर में अवैध रूप से रो-हाउस बनाए जा रहे थे। एलडीए की प्रवर्तन टीम ने पुलिस बल की मदद से निर्माण को सील कर दिया।
गुडंबा में 36,000 वर्गमीटर से ज़्यादा में अवैध प्लाटिंग ध्वस्त
गुडंबा के पैकरामऊ और पलका गांवों में खालिद, मार्डन होमेज, गयाज और पिंटू द्वारा कुल 36,500 वर्गमीटर क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग की जा रही थी। ज़ोनल अधिकारी माधवेश कुमार के नेतृत्व में इन अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त कर दिया गया।
पीजीआई और काकोरी में भी सख्ती
पीजीआई (कल्ली पश्चिम): श्रीकृष्ण यादव व डॉ. हलीम द्वारा लगभग 5 बीघा भूमि में अवैध प्लाटिंग की जा रही थी।
काकोरी (सरोसा भरोसा): तापसी नगर द्वारा 4 बीघा क्षेत्र में अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही थी। दोनों ही स्थलों पर प्रवर्तन जोन-दो और जोन-तीन की टीमों ने कार्रवाई की।
बीकेटी में चार रो-हाउस सील
बीकेटी के सरकपुर सरैया में राजीव शेखर और दिलीप सिंह द्वारा बनाए जा रहे 2,000 वर्गफीट क्षेत्र के चार रो-हाउस को बिना नक्शा स्वीकृति निर्माण करने पर प्रवर्तन ज़ोन-चार की टीम ने सील कर दिया।
सवालों के घेरे में अधिकारी, बिल्डर सांठगांठ
प्राधिकरण के पहले से सील किए भवनों में दोबारा निर्माण और संचालन शुरू होना LDA की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि बिना अंदरूनी समर्थन के इतनी हिम्मत बिल्डरों की नहीं हो सकती। अधिकारियों और बिल्डरों के बीच मिलीभगत की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
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