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लखनऊ में सजी पटाखा बाज़ार Photograph: (YBN)
दीपावली का त्योहार अब बेहद नज़दीक आ गया है। पूरे देश में सोमवार को दीपावली मनाई जाएगी। वैसे तो यह त्योहार रौशनी का है लेकिन बिना पटाखों की इसकी खुशियां कुछ अधूरी ही रहती है। हर साल बढ़ते प्रदूषण ने बीमारी के साथ चिंताएं भी बढ़ा दी है। वहीं दूसरी तरफ अब जागरूक लोग ग्रीन पटाखों का रुख कर रहे है।
क्या होते है ग्रीन पटाखे
ग्रीन पटाखे ईको फ्रेंडली होते है और इनके जलाने पर न सिर्फ वायु प्रदूषण कम होता है बल्कि ध्वनि प्रदूषण भी दूसरे पटाखों के मुकाबले कम रहता है। पटाखा व्यापारी वीरेन्द्र ने बताया कि इन ग्रीन पटाखों में बेरियम क्लोरेट केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है जिसकी वजह से प्रदूषण रहित होते है। इसके साथ ही ग्रीन पटाखों में 125 डेसिबल से कम ध्वनि निकलती है जिससे ध्वनि प्रदूषण भी कम होता है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार इन ग्रीन पटाखों को बनाया गया है और कई कम्पनियां अब अपने बार कोड में पटाखे से जुड़ी पूरी जानकारियां देती है। जिससे ग्रीन पटाखों के मानक पर उनके उत्पाद खरे उतरे।
किस कीमत में मिलते है ग्रीन पटाखे
पटाखों का पिछले तीस साल से कारोबार कर रहे शेरू बताते है कि ग्रीन पटाखों की कीमत दूसरे पटाखों के बराबर ही रहती है और कई जगह पर इनकी कीमत कम भी होती है क्योंकि इनमें कम केमिकल का इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही लखनऊ में पांच रुपए से लेकर पांच हज़ार रुपए तक के ग्रीन पटाखे आसानी से उपलब्ध है वहीं अगर कोई ग्राहक इससे भी महंगा चाहता है तो ऑर्डर पर उसको पटाका मिल जाएगा।
बढ़ो की पसंद बन रहे ग्रीन पटाखे
लखनऊ में सजी पटाखा बाज़ार में हनुमान सेतु से आई मुदित कहती है कि वह सिर्फ बच्चों की जिद पर ही पटाखे लेती है वरना इससे दूरी ही बनना पसंद करती। उनका कहना है कि पटाखों से प्रदूषण होता और अगले दिन सुबह सांस लेने में भी बेहद तकलीफ होती। ऐसे में ग्रीन पटाखे एक बेहतर ऑप्शन है और बेहद कम ग्रीन पटाखे लेकर वह अपने बच्चे की ज़िद पूरी करती। मुदिता ने यंग भारत के माध्यम से सभी से अपील की कि इस दिवाली लोग पटाखों की जगह पर सिर्फ दिये जलाए और अगर बच्चे ज़िद करें तो थोड़े से ग्रीन पटाखें दिलाएं
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