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ऊर्जा मंत्री को गुमराह कर रहा पावर कारपोरेशन : उपभोक्ता परिषद ने कहा- स्मार्ट प्रीपेड मीटर में राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की ओर से स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर एक्स पर किए गए पोस्ट कड़ी आपत्ति जताई है। आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन ऊर्जा मंत्री को गुमराह कर रहा है।

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Deepak Yadav
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यूपी में स्मार्ट प्रीपेड मीटर मामले ने पकड़ा तूल Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में नए बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने और उसकी एवज में 6016 रुपये की वसूली के विरोध के बीच ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के इंटरनेट मीडिया एक्स पर एक पोस्ट से मामला और गरमा गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन ऊर्जा मंत्री को गुमराह कर रहा है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर मामले में आधी-अधूरी और भ्रामक जानकारी जनता के समक्ष रखी जा रही है।

 आरडीएसएस योजना में प्रीपेड मीटर प्री

परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत प्रीपेड मीटर फ्री में लगाने का प्रावधान है। इसके बावजूद कारपोरेशन ने नए बिजली कनेक्शन की लागत 1,032 रुपये से बढ़ाकर सीधे 6016 रुपये तक कर दी। कनेक्शन के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर भी अनिवार्य कर दिया। 

उपभोक्ताओं को मीटर चुनने का अधिकार

वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम में उपभोक्ता को पोस्टपेड और प्रीपेड मीटर का विकल्प चुनने का संवैधानिक अधिकार है। ऐसे में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को अनिवार्य रूप से थोपना राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के पावर कॉरपोरेशन ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर का मूल्य तय कर वसूली शुरू कर दी। जोकि एक गंभीर वित्तीय अनियमितता है।

किस्तों की व्यवस्था नई नहीं

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि नियामक आयोग की ओर से जारी ‘कॉस्ट डाटा बुक’ में झुग्गी-झोपड़ी निवासियों के लिए 150 रुपये प्रति माह की 60 किस्तों और अन्य उपभोक्ताओं के लिए कैरिंग कॉस्ट के साथ 12 समान मासिक किस्तों में भुगतान की व्यवस्था दी गई है। किस्तों की बात कोई नई बात नहीं है, बल्कि पहले से ही नियामक व्यवस्था का हिस्सा है।

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परिषद की मांगें

  • पावर कॉरपोरेशन की वसूली को तत्काल रोका जाए।
  • बिना आयोग की अनुमति मूल्य निर्धारण व वसूली पर जांच बैठाई जाए।
  • उपभोक्ताओं को उनके विकल्प के अनुसार ही मीटर लगाने की स्वतंत्रता दी जाए।
  • राष्ट्रीय कानून का पालन सुनिश्चित किया जाए।

एके शर्मा ने क्या कहा? 

ऊर्जा मंत्री एके शर्म ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि विद्युत वितरण व्यवस्था को आधुनिक, पारदर्शक एवं उपभोक्तापरक बनाने हेतु भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में पूरे देश में स्मार्ट मीटर अथवा प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी इस प्रकार के स्मार्ट मीटर लग रहे हैं। अब तक 40 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। 

स्मार्ट मीटर का एक बड़ा लाभ होगा कि उपभोक्ता को हर समय अपनी बिजली खपत स्पष्ट दिखाई देगी और ग़लत बिलिंग की शिकायत समाप्त हो जाएगी। इस प्रक्रिया में विद्युत कर्मियों का मानवीय हस्तक्षेप भी बंद हो जाएगा। हमारे ध्यान में आया है कि उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा मीटर की कीमत एकमुश्त वसूली जा रही है। इस बारे में उपभोक्ताओं द्वारा शिकायत की गई है और जनाक्रोश दिख रहा है। 

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स्मार्ट मीटर की कीमत एकमुश्त  वसूलना शासन की नीति अथवा मंशानुरूप नहीं है। इसलिए आज मैंने ऊर्जा विभाग एवं UPPCL के उच्च अधिकारियों को कड़ा निर्देश दिया है कि मीटर की कीमत एकमुश्त हरगिज़ वसूल
न की जाय। बल्कि यह लंबे समय की किश्तों में बांटकर ली जाय। शीघ्र ही इस हेतु औपचारिक आदेश कर दिए जायेंगे। 

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