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रूमी दरवाजा पर छात्राओं ने किया योग
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय के योग विभाग, फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के तत्वावधान में 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अंतर्गत सोमवार को विशेष योगाभ्यास शिविर और कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत ऐतिहासिक धरोहर रूमी दरवाजा के सामने योग सत्र से हुई। योगाभ्यास शिविर में अंजनेयासन, वीरभद्रासन, नटराजासन, गौमुखासन, त्रिकोणासन के साथ सूर्यनमस्कार, भ्रामरी, अनुलोम-विलोम, शीतली प्राणायाम जैसे आसनों और प्राणायामों का अभ्यास कराया गया। बड़ी संख्या में छात्राओं ने भाग लेकर योग के प्रति उत्साह और जागरूकता का परिचय दिया।
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योगाभ्यास से सकारात्मक ऊर्जा का संचार
कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर अमरजीत यादव ने कहा की ऐतिहासिक धरोहरों पर योगाभ्यास कराना भारतीय संस्कृति, स्वाभिमान और राष्ट्र गौरव को जाग्रत करता है। रूमी दरवाजा के सामने छात्राओं द्वारा किया गया अभ्यास भारतीयता और स्वास्थ्य का प्रतीक बन गया। उन्होंने बताया कि योगाभ्यास से शरीर में स्फूर्ति, चेतना और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी लाभदायक है। अभ्यास के माध्यम से शरीर के चक्रों का जागरण होता है जिससे आत्मिक संतुलन भी प्राप्त होता है।
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इन छात्राओं ने शिविर में लिया हिस्सा
इस शिविर में मोनिका सिंह, प्रीति मनुज, अर्चना वर्मा, सविता रंजन, स्मृति ओझा, अर्चना सिंह, प्रगति तिवारी, मनीषा दत्ता, अमिता शुक्ला, रुचि धवन, श्रेया कौशिक, दिव्या मिश्रा, सुष्मिता, खुशबू गौतम और रागिनी ने सहभागिता की। शिविर के बाद योग विभाग के सभागार में “शरीर पर प्राणायाम का प्रभाव” विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। योगाचार्य किशोर कुमार शुक्ला ने भस्त्रिका, उज्जायी, शीतली, शीतकारी, नाड़ी शोधन और भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास कराते हुए प्राणायाम के लाभों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा की प्राणायाम केवल श्वसन प्रणाली को ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्राण ऊर्जा को सक्रिय करता है। यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक स्तर पर गहरा प्रभाव डालता है।
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