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निजीकरण के नाम पर अभियंताओं का मानसिक उत्पीड़न Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में साढ़े तीन करोड़ से अधिक बिजली उपभोक्ता हैं। लेकिन अभियंताओं की संख्या जरुरत से काफी कम है। ऊर्जा निगमों में अभियंताओं के करीब 750 पद खाली हैं। वहीं सीधी भर्ती के तहत करीब दो हजार अभियंताओं की तत्काल नियुक्ति होनी चाहिए। रिक्त पदों पर अभी तक भर्ती नहीं होने से मौजूदा अभियंताओं पर काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। ऊपर से निजीकरण के नाम पर अभियंताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। यह दबाव वह झेल नहीं पा रहे हैं। इससे उनका मानसिक स्वास्थ इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है।
400 जेई और 350 एई के पद खाली
प्रदेश में 3.61 करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी सेवा के लिए पर्याप्त अभियंता नहीं हैं। बिजली निगमों में सहायक अभियंता के 350 और अवर अभियंता के करीब 400 पद खाली हैं। इसके अलावा तकनीशियन और अन्य श्रेणी के भी बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। उपभोक्ताओं की संख्या के अनुपात में राष्ट्रीय मानक के अनुसार, रिक्तों पदों की गणना की जाए, तो वर्तमान में बिजली निगमों में लगभग 1000 सहायक अभियंता और इतने की अवर अभियंता के पद तत्काल भरे जाने चाहिए। इनकी नियुक्ति होने से उपभोक्ताओं को सुचारू बिजली आपूर्ति और उनकी समस्याओं का समय से समाधान हो सकेगा।
अभियंताओं का बिगड़ रहा मानसिक संतुलन
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण के नाम पर प्रदेश में बड़े पैमाने पर अभियंताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। इसका खामियाजा सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है। वर्तमान में फील्ड में तैनात अभियंताओं की मानसिक स्थिति का एक्सपर्ट कमेटी से आंकलन करा लिया जाए तो इनमें ज्यादातर की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है। नतीजतन वह इसका गुबार उपभोक्ताओं पर निकलते हैं।
भ्रष्टाचार में शामिल अभियंता हों बर्खास्त
वर्मा ने कहा कि 1959 में गठित राज्य विद्युत परिषद के इतिहास में पहली बार पिछले दो वर्षों में सैकड़ों अभियंताओं ने वीआरएस लिया और बड़े पैमाने पर निदेशक बर्खास्त किए गए। इसकी भी जांच सरकार को करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त अभियंता बर्खास्त और अच्छा काम करने वालों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उनका किसी भी स्तर पर उत्पीड़न न हो। जिससे वह पूरे मनोयोग से उपभोक्ता सेवा में अपना योगदान दे सकें।
Electricity Privatisation | UPRVUP
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