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वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर क्या बोले मुस्लिम धर्मगुरु और नेता?

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अदालत के फैसले में कई बातें हमारी उम्मीदों के मुताबिक हैं। वहीं कुछ पहलू उनकी अपेक्षाओ विपरीत हैं। उन्होंने कहा कि अदालत के अंतिम फैसले का इंतजार है। उम्मीद है कि इसमें संपूर्ण राहत मिलेगी।

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Deepak Yadav
Maulana Khalid Rasheed Farangi Mahli and Shahabuddin Razvi

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर क्या बोले मुस्लिम धर्मगुरु Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर अंतरिम फैसला सुनाया। कोर्ट ने इसके कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। वहीं, मुस्लिम पक्ष की कई दलीलें मानते हुए पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने वक्फ संपत्ति पर राजस्व से संबंधित कानून पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि कलेक्टर यह तय नहीं कर सकता कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं। यह काम विधायिका और न्यायपालिका की भूमिका में हस्तक्षेप करता है। साथ ही उस प्रावधान पर रोक लगाई, जिसके अनुसार वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को पांच वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना जरूरी था। कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य न हों और वक्फ बोर्ड का सीईओ जहां तक संभव हो मुस्लिम समुदाय से हो, लेकिन गैर-मुस्लिम सीईओ बनाने पर रोक नहीं लगाई।

जिलाधिकारी की शक्ति पर रोक

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अदालत के फैसले में कई बातें हमारी उम्मीदों के मुताबिक हैं। वहीं कुछ पहलू उनकी अपेक्षाओ विपरीत हैं। मौलाना ने कहा कि कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर रोक लगाई है, जिसमें वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का पांच वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना जरुरी बताया गया था। साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड का सीईओ जहां तक संभव हो सके, वह मुस्लिम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत के अंतिम फैसले का इंतजार है। उम्मीद है कि इसमें संपूर्ण राहत मिलेगी।

वक्फ जमीनों से हटेंगे भूमाफिया के कब्जे

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि अदालत के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने काह कि सुप्रीम कोर्ट से ऐसे फैसले की उम्मीद थी। अब वक्फ जमीनों से भूमाफिया के कब्जे हटेंगे। उस पर अनाथालय, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मस्जिद और मदरसे बनाए जाएंगे। इनके होने वाली आमदनी से गरीब मुस्लिमों पर खर्च होगी। उन्होंने सरकार से गुजारिश करते हुए कहा कि वह इस कानून को जल्द अमलीजामा पहनाए। ताकि गरीब मुसलमानों के कल्याण के रास्ते खुलें और वह अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

अदालत के आदेश पर क्या बोले असीम वकार

ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिम (AIMIM) के नेता असीम वकार ने कहा कि वक्फ अमेंडमेंट एक्ट पर सर्वोच्च न्यायलय द्वारा दिया गया अंतरिम आदेश स्वागत योग्य है। सुकून देने वाला है, लेकिन मुकम्मल तौर पर संतुष्ट करने वाला नहीं है। सर्वोच्च न्यायलय ने अपने आदेश से ये साबित कर दिया है की भारत सरकार मुसलमानों के अधिकारों का हनन और अतिक्रमण कर रही थी। हमें उम्मीद है फाइनल फैसला हमारे हक में होगा।

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने क्या कहा

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कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि यह वाकई एक अच्छा फैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की साजिश और इरादों पर लगाम लगा दी है। ज़मीन दान करने वाले लोग इस बात से डरे हुए थे कि सरकार उनकी ज़मीन हड़पने की कोशिश करेगी। यह उनके लिए राहत की बात है। सरकार कैसे तय करेगी कि कौन पांच साल से धर्म का पालन कर रहा है? यह आस्था का मामला है। सरकार ने इन सभी पहलुओं पर ध्यान दिया है। हम लड़ाई जारी रखेंगे।

सपा नेता एसटी हसन ने कहा- अभी इंसाफ पूरा नहीं मिला 

पूर्व सांसद व सपा नेता डॉ एसटी हसन ने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का 50 प्रतिशत स्वागत करते हैं। अभी इंसाफ पूरा नहीं मिला है। उन्होंने सवाल किया कि क्या अब हिन्दू मठ मंदिरों की कमेटी में क्या मुसलमान भी सदस्य होंगे? जैसे वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को इजाजत दी गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों पर सबसे अधिक अवैध कर रखे हैं। सुप्रीम कोर्ट वक्फ सम्पत्तियों से सरकारों के अवैध कब्जों को हटवाए या उनके किराए बढ़ाये। 

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