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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली दरों में 45 फीसदी प्रस्तावित बढ़ोत्तरी की सुनवाई पूरी हो चुकी है। इस पर अंतिम फैसला शुक्रवार को नियामक आयोग के सभागार में आयोजित राज्य सलाहकार समिति की बैठक में किया जाएगा। इसमें पांच से ज्यादा प्रमुख सचिव शामिल होंगे। इस दौरान राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद बिजली दर घटाए जाने के लिए कानूनी तथ्य रखने के साथ निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने की भी मांग उठाएगी।
किसी भी हालत में महंगी नहीं होने देंगे बिजली
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि कहा किसी भी हालत में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सर प्लस है। ऐसे में बिजली दरो में बढ़ोतरी का तो सवाल ही नहीं उठता। इस बार बिजली दरें घटाने के लिए पूरी तैयारी के साथ तथ्य रखे जाएंगे।
निजीकरण से संवैधानिक संकट
वर्मा ने कहा कि दूसरा अहम मुद्दा पूर्वांचल और दक्षिणांयल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का है। एक तरफ प्रदेश की सभी बिजली कंपनियां बिजली दरों में बढ़ोतरी और 2025 -26 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता का प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल कर चुकी हैं। जिससे अप्रैल 2026 तक सभी बिजली कंपनियां अपना व्यवसाय करेंगी। इसी बीच उनका निजीकरण संवैधानिक संकट खड़ा करता है। ऐसे में उपभोक्ता परिषद निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने की मांग उठाएगी।
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