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Politics : मिशन बिहार में योगी-केशव ऐसे पलटेंगे खेल

CM Yogi Adityanath ने बिहार के चुनाव में भाजपा की यूपी ब्रिगेड इस ब्रिगेड की कमान संभाल रखी है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी बिहार को मथना शुरू कर दिया है।

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HARI SHANKAR MISHRA
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मिशन बिहार में योगी-केशव ऐसे पलटेंगे खेल Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिहार के चुनाव में भाजपा की यूपी ब्रिगेड ने डेरा तो डाल दिया है और उनकी सभाओं का सिलसिला भी जारी है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने इस ब्रिगेड की कमान संभाल रखी है और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने भी बिहार को मथना शुरू कर दिया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भाजपा के कई कद्दावर नेता भी बिहार की धरती पर दिखाई दे रहे हैं। लेकिन असल सवाल यही है कि बिहार की राजनीति में यूपी के यह नेता क्यों इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं। वे किस तरह भाजपा की नैया पार कराएंगे, यह देखना रोचक होगा। यह एक तरह से योगी-केशव की एक बड़ी परीक्षा भी है। 

हिंदू समाज पर सीधा असर डालता है योगी का चेहरा

बिहार की राजनीति में सनसनी है, रोमांच है और वह सारे दांवपेंच हैं जो किसी भी चुनाव को रोचक बनाते हैं लेकिन अब इसकी तपिश और बढ़ाई है योगी और केशव ने। योगी कट्टर हिंदुत्व का एजेंडा लेकर चल रहे हैं तो जातिगत समीकरणों को संभालने के लिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हैं। यह देखने का बात होगी कि UP ब्रिगेड बिहार के चुनाव को कितना प्रभावित कर पाती है। वस्तुतः बिहार का चुनाव इन्हीं समीकरणों पर टिकता है। दोनों ही प्रदेशों में जातिगत स्थितियां लगभग एक जैसी हैं और पिछड़े मत चुनावी नजरिये से मंहत्वपूर्ण साबित होते हैं। यदि जातियां तितर-बितर होती हैं तो इसका लाभ सीधे तौर पर भाजपा को मिलेगा। योगी एक ऐसा चेहरा हैं जो पूरे हिंदू समाज पर सीधा असर डालते हैं। उन्होंने अपने अभियान की शुरुआत भी इसी अंदाज में की है। वह दानापुर और सहरसा में सभाएं कर चुके हैं और कानून व्यवस्था को लेकर जिस तरह विपक्ष को घेरा है, यह संकेत है इस बात का कि वह कानून व्यवस्था और सुशासन को लेकर आगे बढ़ेंगे।

केशव को है संगठन का बड़ा अनुभव

कानून व्यवस्था बिहार की कमजोर नस है और इसका असर देखने को मिल सकता है। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश बड़ी संख्या में गोरक्षधाम के अनुयायी रहते हैं। उनके बीच भी योगी का असर देखने को मिल सकता है। बिहार में योगी 20 से 25 सभाएं करेंगे, हालांकि उनकी मांग लगभग हर क्षेत्र के प्रत्याशियों ने कर रखी है। पूर्व में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के चुनाव में भी उनका खासा असर देखने को मिल चुका है। भाजपा के इस अभियान को संपूर्णता मिलती है केशव प्रसाद मौर्य से और इसी वजह से उन्हें सह प्रभारी का बड़ा दायित्व दिया गया है। केशव को संगठन का बड़ा अनुभव है और टिकट बंटवारे से उपजे असंतोष व विपक्ष के प्रहारों का उन्हीं की भाषा में जवाब देने में वह सक्षम हैं। 

सिद्धार्थनाथ तोड़ेंगे प्रशांत किशोर का किला

इन दोनों नेताओं के अलावा उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह जैसे कई नेता भी बिहार के चुनाव में भाजपा की कमान संभालने जा रहे हैं। सिद्धार्थनाथ सिंह बिहार में भाजपा के प्रचार की थीम और नैरेटिव तय करेंगें। इस मोर्चै पर भाजपा ने पहली बार पार्टी के किसी नेता को लगाया है। शायद इसके पीछे बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की उपस्थिति है। यूपी ब्रिगेड ने बिहार में धमाल मचाना शुरू कर दिया है। यदि इसके परिणाम सार्थक निकलते हैं तो इसका सबसे बड़ा लाभ केशव प्रसाद को मिल सकता है और पार्टी में उनका कद और बढ़ जाएगा।     

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