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बिजली कंपनियों को दुकान न बनाएं : ऊर्जा मंत्री निजीकरण का प्रस्ताव करें रद्द, संगठनों ने उठाई मांग

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने  ऊर्जा मंत्री से अपील की कि वह अपने बयान पर कायम रहते हुए बिजली कंपनियों को सरकारी क्षेत्र में रहने दें और निजीकरण का फैसला तत्काल निरस्त करें।

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Deepak Yadav
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ऊर्जा मंत्री के बयान पर निजीकरण निरस्त करने की मांग Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा विभाग की लचर व्यवस्था और अफसरों के कामकाज से त्रस्त हैं। शक्ति भवन में बुधवार को विभागीय समीक्षा बैठक में उन्होंने अधिकारियों को खूब खरी खोटी सुनाई। बिजली विभाग की बदहाल जमीनी स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने तल्ख अंदाज में अधिकारियों को अंधा-बहरा तक कहा डाला। शर्मा ने अधिकारियों को याद दिलाया कि बिजली विभाग कोई व्यापारिक संस्था नहीं, बल्कि जनसेवा के लिए है। उनके इस बयान पर ऊर्जा और उपभोक्ता संगठनों ने सवाल उठाया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण कर इसे 'दुकान क्यों बनाया जा रहा है?

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निजी कंपनी 2 किलोवाट कनेक्शन के 9 लाख वसूल रही

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने  ऊर्जा मंत्री से अपील की कि वह अपने बयान पर कायम रहते हुए बिजली कंपनियों को सरकारी क्षेत्र में रहने दें और निजीकरण का फैसला तत्काल निरस्त करें। उन्होंने कहा कि बिजली जहां सार्वजनिक क्षेत्र के लिए जनसेवा है। वहीं, आद्योगिक समूहों के सिर्फ व्यापार है। आगरा में टोरेंट पावर कंपनी का हवाला देते हुए कहा कि वह दो किलोवाट का कनेक्शन देने के लिए नौ लाख रुपए तक तक वसूल करती है।यूपी में सबसे पहले ग्रेटर नोएडा में निजीकरण किया गया था। जहां एक ओर सार्वजनिक क्षेत्र में विद्युत वितरण निगम किसानों को मुफ्त बिजली दे रहे हैं, वहीं ग्रेटर नोएडा में किसान मुफ्त बिजली की सुविधा से वंचित हैं। 

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मेरठ में बिजली कर्मियों का प्रदर्शन

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संगठन के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि इंजीनियरों का निलंबन, फेस हाजिरी और स्मार्ट मीटर लगाए जाने के विरोध में आज बिजली कार्मिकों ने मेरठ में प्रबंध निदेशक कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। बिजली कर्मियों की मांगक की कि मात्र 10 मिनट के लिए बिजली जाने पर बिना किसी जांच के जूनियर इंजीनियर से मुख्य अभियंता तक को निलंबित करना ठीक नहीं है। निलंबन के आदेश तत्काल निरस्त किए जाएं। फेशियल अटेंडेंस के नाम पर हजारों बिजली कर्मियों का मनमाने ढंग से वेतन रोक दिया गया है। रुका हुआ वेतन तत्काल जारी किया जाए। बिजली कर्मियों के निवास पर स्मार्ट मीटर लगाया जाना तत्काल बंद किया जाय। वहीं, निजीकरण के खिलाफ लगातार 239 वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक प्रदर्शन जारी रखा।

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निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल खारिज हो

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ऊर्जा मंत्री जब धरातल पर गए तो उन्होंने खुद ही विभाग की पोल खोल दी। यहां तक कह डाला की हम बनिया की दुकान नहीं चल रहे। यानी यह आवश्यक सेवाओं का विभाग है। वर्मा ने कहा कि प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण हो जाने के बाद क्या यह आवश्यक सेवाओं वाला विभाग अदाणी, टाटा एनपीसीएल या किसी अन्य औद्योगिक समूह की निजी दुकान नहीं बन बन जाएगा। इसलिए बिजली निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल खारिज करना देना चाहिए।

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