लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने दावा किया कि बिजली कंपनियों के निजीकरण की आड़ में आरक्षण समाप्त करने की साजिश की जा रही है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन कह रहा है कि सभी कार्मिकों की नौकरी सुरक्षित रहेगी। जबकि अभी तक आरक्षण के पदों को लेकर कोई फैसाल नहीं लिया गया है। इसके साथ एसोसिएशन की केंद्रीय कोर कमेटी ने बिजली कार्मिकों को हड़ताल पर जाने की स्थिति में सीधे बर्खास्त किए जाने के फैसले का कड़ा विरोध किया।
बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था पर कुठाराघात
एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी केन, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, उपाध्यक्ष पीएम प्रभाकर, महासचिव अनिल कुमार ने संयुक्त बयान में कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण से आरक्षण के लगभग 16 हजार पद समाप्त हो जायेंगे। जोकि बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था पर कुठाराघात होगा। सभी ने निजीकरण का हर स्तर पर विरोध करने का एलान किया। उन्होंने कहा कि निजीकरण किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह लड़ाई करो या मरो की की तर्ज पर लड़ी जाएगी।
प्रदेश सरकार से हस्तक्षेप की मांग
इसके अलावा पदाधिकारियों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 311 (2) में किसी भी सरकारी कार्मिक को बर्खास्त किए जाने के पहले उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिए जाने का अधिकार दिया गया है। लेकिन पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने संविधान का उल्लंघन कर तुगलकी फरमान जारी कर दिया। संविधान के किसी भी अनुच्छेद का पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल को उल्लंघन करने का कोई भी अधिकार नहीं है। बाबा साहब की बनाई गई संवैधानिक व्यवस्था का अपमान दलित और पिछड़े वर्ग के अभियंता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रदेश सरकार को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप कर सख्त कदम उठाना चाहिए।
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