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निजीकरण का मसौदा पास करने को आयोग पर दबाव डालने का आरोप Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन और सरकार के उच्चाधिकारी बिजली कंपनियों के निजीकरण (Electricity Privatisation) के मसौदे को मंजूर कराने के लिए नियामक आयोग पर दबाव बना रहे हैं। आयोग पहले ही इस मसौदे में गंभीर कमियां निकाल चुका है। इसलिए अब आयोग पर दबाव बनाकर ड्राफ्ट पास कराने की साजिश की जा रही है। जोकि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के खिलाफ है। परिषद का कहना है कि आज बिजली दरों की सुनवाई होनी थी। लेकिन अधिकारी नियामक पहुंचने से उसे आगे बढ़ा दिया गया।
बिजली दरों पर सुनवाई टली
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण के मसौदे में वित्त्तीय कमियां उजागर होने के बाद प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा, पावर कारपोरेशन अध्यक्ष और उनकी पूरी टीम सहित सरकार के कई अधिकारी नियामक आयोग पहुंचे। इससे साफ है कि आयोग पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निजीकरण का मसौदा असंवैधानिक है। उसे किसी भी हालत में पास नहीं किया जा सकता। ऐसे में आयोग को विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अनुरूप फैसला लेना चाहिए।
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
अवधेश वर्मा ने कहा कि पहली बार सरकारी तंत्र निजीकरण के मसौदे को जल्द पास करने में जुटा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 42 जनपदों की सरकारी संपत्ति कम दामों पर औद्योगिक घरानों को देना भ्रष्टाचार का मामला बनता है। मुख्यमंत्री को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। वर्मा ने कहा कि नौ जुलाई को कानपुर में होने वाली बिजली दरों की सुनवाई में परिषद इस मामले को उठायेगा।
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