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भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में नृत्य नाटिका प्रस्तुत करतीं कलाकार Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय बुधवार को देश प्रेम और महिला सशक्तीकरण की भावना से सराबोर नजर आया। राष्ट्रगान के रचयिता रबीन्द्रनाथ टैगोर की कालजयी रचना 'चित्रांगदा' पर श्रुति परफार्मिंग ग्रुप की प्रस्तुति पर विश्वविद्यालय का कला मंडपम प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। ताल-लय ओर भाव के अद्भुत संगति से सजी इस प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रसिद्ध नृत्यांगना प्रो. श्रुति बंदोपाध्याय के निर्देशन में कलाकरों ने चित्रांगदा को मंच पर जीवंत रूप दिया।
संस्कृति और साहित्य का संगम
इस अवसर पर कुलपति प्रो मांडवी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय का सौभाग्य है कि विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक, साहित्य में नोबल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ ठाकुर की रचित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति विश्वविद्यालय प्रांगण में हुई। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से शिक्षार्थियों को अपने संस्कृति व साहित्य के पुरोधा रहे महान साहित्यकारों के जीवन और उनकी रचनाओं से परिचित होने का मौका मिलता है।
रवीन्द्र नृत्य को संजोने की पहल
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. रूचि खरे ने बताया की नृत्य नाटिका चित्रांगदा एक ऐसी कथा है जो प्रेम, आत्म-स्वीकृति और नारी सशक्तीकरण का संवेदनशील चित्र प्रस्तुत करती है। उन्होंने बताया कि श्रुति परफार्मिंग ग्रुप बंगाल के पारंपरिक नृत्य रूप में रवींद्र नृत्य को संरक्षित, सुरक्षित और प्रसारित करने की पहल और प्रयास विगत कुछ वर्षों से कर रहा है। कुलसचिव डॉ सृष्टि धवन ने कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजन से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में देश प्रेम,साहित्य की समझ, एकाग्रता और सामाजिक सहयोग की भावना का विकास होता है।
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