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पुराने प्रीपेड मीटर की कीमत से तय कर दिया स्मार्ट प्रीपेड मीटर का दाम Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में नया बिजली कनेक्शन पहले की तुलना में छह गुना महंगा चुका है। कनेक्शन के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता के बाद यह बढ़ोत्तरी हुई है। इस बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि पावर कारपोरेशन ने पुराने प्रीपेड मीटर की कीमत को आधार बनाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें तय कर दीं। अब सिंगल फेज कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए 6016 रुपये की अनधिकृत वसूली की जा रही है।
नॉन स्मार्ट मीटर की कीमत पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन की तकनीकी जानकारी की कमी का खामियाजा प्रदेशवासियों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि नियामक आयोग ने 2019 में 6016 की दर को (आईएस 015884) नॉन-स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए मंजूरी दी थी। लेकिन कारपोरेशन ने उसी दर को (आईएस 16444) स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर लागू कर दिया। जबकि दोनों के तकनीकी मानक अलग-अलग हैं।
नियामक आयोग में याचिका दायर
वर्मा ने बताया कि वर्ष 2024 में मध्यांचल के टेंडर में यही स्मार्ट प्रीपेड मीटर 3510 रुपये में खरीदा गया था। इससे स्पष्ट है कि कारपोरेशन उपभोक्ताओं से 2500 रुपये अतिरिक्त वसूल रहा है। जबकि आरडीसएस योजना के तहत लगाए जा रहे मीटर पर शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। इस अनियमितता के खिलाफ परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर कर जल्द ही इस पर फैसला आने की उम्मीद जताई है।
प्रदेश सरकार से हस्तक्षेप की मांग
अवधेश वर्मा ने प्रदेश सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि बिजली के नए कनेक्शन की लागत को अनुचित रूप से बढ़ाना, उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन को यह तक नहीं पता कि किस आईएस मानक का मीटर उपयोग में लाया जा रहा है।
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