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समृद्ध धान नेटवर्क : यूपी में किसानों की उन्नति की नई राह, श्रम लागत में आएगी भारी कटौती

समृद्ध धान नेटवर्क एक तकनीकी व प्रायोगिक प्रणाली है, जिसके तहत आधुनिक तकनीक, उन्नत बीज व स्मार्ट उपकरणों से धान की खेती को आसान, किफायती और लाभदायक बनाया जा रहा है।

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Deepak Yadav
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surya pratap shahi

समृद्ध धान नेटवर्क Photograph: (Social Media)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। अब किसानों को धान की खेती में अधिक मेहनत और खर्च करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। सरकार और कृषि वैज्ञानिकों की मदद से एक नया 'समृद्ध धान नेटवर्क' तैयार किया गया है, जो न केवल किसानों की मेहनत को कम करेगा, बल्कि उत्पादन लागत में भी भारी कटौती करेगा।

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क्या है समृद्ध धान नेटवर्क?

समृद्ध धान नेटवर्क एक तकनीकी और प्रायोगिक प्रणाली है। जिसके तहत आधुनिक कृषि तकनीकों, उन्नत किस्मों के बीज, और स्मार्ट उपकरणों का उपयोग करके धान की खेती को अधिक सरल, कम लागत वाली और लाभदायक बनाया जा रहा है। यह नेटवर्क किसानों को वैज्ञानिक तरीकों से प्रशिक्षण देने, उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने और खेतों में मशीनरी के उपयोग को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।

प्रमुख लाभ

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श्रम लागत में भारी कमी : इस नेटवर्क के माध्यम से धान की रोपाई, सिंचाई और कटाई जैसे कार्यों में मशीनों का उपयोग किया जाएगा, जिससे मजदूरी पर होने वाला खर्च काफी हद तक कम हो जाएगा।

उत्पादकता में वृद्धि : उन्नत बीजों और वैज्ञानिक पद्धतियों से उत्पादन अधिक होगा, जिससे किसानों की आय में सीधा इजाफा होगा।

समय की बचत : परंपरागत तरीके की तुलना में मशीनों और आधुनिक तकनीकों की सहायता से खेती कम समय में पूरी हो सकेगी।

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कनीकी प्रशिक्षण और समर्थन : किसानों को खेती के आधुनिक तरीकों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि वे बदलते समय के साथ अपने कौशल को उन्नत बना सकें।

राज्य सरकार की भूमिका 

प्रदेश सरकार इस नेटवर्क के माध्यम से राज्यभर के लाखों किसानों को जोड़ने का प्रयास कर रही है। कृषि विभाग की ओर से इस योजना के तहत अनुदान, मशीनरी वितरण, फसल बीमा और मंडी तक आसान पहुँच की सुविधाएं भी दी जाएंगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। समृद्ध धान नेटवर्क केवल एक योजना नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य को बदलने वाला एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल खेती की लागत कम होगी, बल्कि किसान आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगे। यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो उत्तर प्रदेश जल्द ही देश में धान उत्पादन में अग्रणी राज्य बन सकता है।

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